

बांदा जिले के कमासिन क्षेत्र में यमुना और बागे नदी में आई बाढ़ से करीब 150 एकड़ कृषि भूमि की फसलें बर्बाद हो गईं। प्रभावित किसानों ने मुआवजे की मांग की है, जबकि प्रशासन नुकसान का आकलन कर रहा है।
बांदा में बाढ़ से कृषि भूमि बर्बाद (सोर्स- इंटरनेट)
Banda: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश और यमुना और बागे नदी में आई बाढ़ ने किसानों के लिए एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है। कमासिन क्षेत्र की ग्राम पंचायत अछरील में लगभग 150 एकड़ कृषि भूमि में बाढ़ का पानी घुसने से फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गईं। स्थानीय किसानों का कहना है कि उन्होंने इस भूमि पर ज्वार, बाजरा, अरहर और तिली की फसलें बोई थीं, लेकिन बाढ़ के कारण लगभग 80-90 प्रतिशत फसलें नष्ट हो गईं हैं। यह घटना किसानों के लिए एक बड़ा आर्थिक झटका साबित हो रही है।
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ग्राम पंचायत अछरील के किसान राम प्रताप, संगीता और रामबाबू जैसे किसानों ने बताया कि इस बार की बाढ़ में उनकी फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। उन्होंने बताया कि जिन फसलों की वे उम्मीद कर रहे थे, वे अब पानी में डूब चुकी हैं। बाढ़ के पानी ने खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह नष्ट कर दी हैं, जिससे उनका पूरा सालभर का मेहनत और निवेश मिट्टी में मिल गया है।
किसानों ने यह भी बताया कि उनके पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है। उनके पास पहले से ही कर्ज़ था, और अब फसलों के नष्ट होने से वे और भी आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। इस स्थिति में, वे मुआवजे की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
सोर्स- इंटरनेट
भा.ज.पा. के कमासिन मंडल मंत्री मान सिंह ने इस घटना की पुष्टि की और बताया कि यमुना नदी के किनारे की तिरहर भूमि की फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रभावित किसानों की मदद की बात कही।
मान सिंह ने कहा, "हमने जिला प्रशासन से संपर्क किया है और उनसे प्रभावित किसानों की मदद के लिए मुआवजा देने की अपील की है।" उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन को किसानों के नुकसान का आकलन कर उचित मुआवजा प्रदान करना चाहिए ताकि किसानों को राहत मिल सके।
पीड़ित किसानों ने बांदा के जिला अधिकारी से मुआवजे की मांग की है। उनका कहना है कि प्रशासन को इस नुकसान का सही आकलन करना चाहिए और किसानों के आर्थिक नुकसान की भरपाई करनी चाहिए। कई किसानों का कहना है कि वे पहले से ही कर्ज़ में दबे हुए हैं, और अब फसलें बर्बाद होने से उनकी स्थिति और भी खराब हो गई है।
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किसानों ने यह भी कहा कि मुआवजे के बिना वे अपनी अगली फसल की तैयारी करने के लिए आवश्यक संसाधन जुटा पाने में असमर्थ होंगे। कई किसान तो यह भी सोच रहे हैं कि उन्हें भविष्य में खेती से जुड़े अपने कदम पीछे खींचने होंगे।