

उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नया बवाल उस वक्त खड़ा हो गया जब कैराना से समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन और सहारनपुर के ADM संतोष बहादुर सिंह के बीच कथित रूप से तीखी बहस हो गई।
सांसद इकरा हसन और किसान नेता राकेश टिकैत
Lucknow: उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नया बवाल उस वक्त खड़ा हो गया जब कैराना से समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन और सहारनपुर के ADM संतोष बहादुर सिंह के बीच कथित रूप से तीखी बहस हो गई। मामला महज एक मीटिंग का नहीं था इसमें जुड़ गईं जनता की समस्याएं, एक निर्वाचित सांसद की गरिमा, और अब किसान नेता राकेश टिकैत की तल्ख प्रतिक्रियाएं, जिन्होंने इसे सीधे-सीधे शासन बनाम जनप्रतिनिधि की लड़ाई करार दे दिया।
राकेश टिकैत का यह सवाल बेहद तीखा है "क्या ADM ने यह दुर्व्यवहार खुद की राय से किया या फिर उसे सत्ता का आदेश था?" यह एक ऐसा बयान है जो अफसरशाही के रवैये और सरकार की नीयत दोनों पर एक साथ सवाल खड़े करता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सांसद और नगर पंचायत अध्यक्ष के साथ ऐसा व्यवहार हो सकता है, तो आम जनता के साथ क्या होता होगा? उनके शब्दों में झलकती नाराजगी सिर्फ एक घटना पर नहीं बल्कि सिस्टम के उस रवैये पर है, जिसमें जनता के प्रतिनिधियों को भी अपमानित किया जा रहा है।
टिकैत के बयान की गंभीरता इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि उन्होंने सांसद इकरा हसन को "बहुत ही सौम्य और विनम्र" बताया है। दरअसल, जिस दिन यह विवाद हुआ, उस दिन इकरा हसन नगर पंचायत अध्यक्ष शमा परवीन के साथ ADM ऑफिस पहुंची थीं। अफसर लंच पर थे, और दो घंटे बाद जब सांसद दोबारा पहुंचीं, तो कथित तौर पर ADM ने न सिर्फ शमा परवीन को डांटा, बल्कि इकरा हसन से कह दिया कि वह उनके ऑफिस से बाहर जाएं। ADM संतोष बहादुर का यह कथन कि "यह उनका ऑफिस है और वह जो चाहें कह सकते हैं", अब लोकतंत्र की गरिमा बनाम अफसरशाही की अघोषित ताकत के रूप में बहस का कारण बन गया है।
टिकैत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस मुद्दे को संसद के पटल तक ले जाने की बात कर रहे हैं। यह केवल एक ‘राजनीतिक विवाद’ नहीं बल्कि ‘संवैधानिक अधिकारों’ का मुद्दा बनता जा रहा है। यह पहली बार नहीं है जब जनप्रतिनिधियों और नौकरशाही के बीच टकराव हुआ हो, लेकिन जब किसान नेताओं और विपक्ष दोनों की आवाज एक सुर में उठने लगे, तो सरकार के लिए इसे नजरअंदाज करना आसान नहीं होता।
ADM विवाद के साथ ही राकेश टिकैत ने कांवड़ यात्रा को लेकर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, "हरियाणा से आने वाले कांवड़ियों की मोटरसाइकिलें रोकी जा रही हैं, उन्हें परेशान किया जा रहा है। जो लोग वोट देते हैं, उन्हीं को चुनाव से पहले अपमानित किया जा रहा है।" यह बयान सरकार की धार्मिक यात्राओं पर कथित प्रतिबंधों को लेकर जनता के भीतर पैदा हो रहे असंतोष को भी उभारता है।