विदेशी मीडिया की लापरवाह रिपोर्टिंग पर भारतीय पायलट संघ का सख्त रुख, प्रतिष्ठा की रक्षा में उठाया कानूनी कदम

12 जून को अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया 171 विमान हादसे ने जहां एक ओर जनसुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कीं, वहीं दूसरी ओर विदेशी मीडिया द्वारा इस दुर्घटना की रिपोर्टिंग ने एक अलग ही विवाद को जन्म दे दिया।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 19 July 2025, 2:44 PM IST
google-preferred

New Delhi: 12 जून को अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया 171 विमान हादसे ने जहां एक ओर जनसुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कीं, वहीं दूसरी ओर विदेशी मीडिया द्वारा इस दुर्घटना की रिपोर्टिंग ने एक अलग ही विवाद को जन्म दे दिया। रॉयटर्स और द वॉल स्ट्रीट जर्नल जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया हाउसों द्वारा प्रकाशित रिपोर्टों में अटकलों पर आधारित विवरणों और बिना अधिकारिक पुष्टि के मृत पायलटों को सीधे-सीधे जिम्मेदार ठहराना न केवल पत्रकारिता की नैतिक सीमाओं का उल्लंघन है, बल्कि यह भारतीय नागरिक उड्डयन प्रतिष्ठा पर भी एक सीधा प्रहार है।

भारतीय पायलट संघ (FIP) की आपत्ति क्यों अहम है?

भारतीय पायलट संघ (Federation of Indian Pilots - FIP) कोई सामान्य निकाय नहीं है। यह एक तकनीकी और पेशेवर संगठन है जो वाणिज्यिक विमानन क्षेत्र में कार्यरत पायलटों के हितों का प्रतिनिधित्व करता है। FIP के अध्यक्ष कैप्टन सीएस रंधावा ने दो टूक शब्दों में बताया कि रॉयटर्स और WSJ ने जिस तरह की रिपोर्टिंग की है, वह न केवल तथ्यात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण है, बल्कि उससे “posthumous defamation” यानी मृत पायलटों की मृत्युपरांत छवि को गंभीर क्षति पहुँची है।

कानूनी नोटिस में क्या कहा गया?

कानूनी नोटिस में इन मीडिया संस्थानों को दो स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। गलत रिपोर्ट हटाएं और माफी मांगे और 17 जुलाई को प्रकाशित रिपोर्ट को तुरंत संशोधित किया जाए, उसमें उपयुक्त अस्वीकरण जोड़ा जाए और दोषारोपण वाली भाषा को हटाया जाए। एक सार्वजनिक बयान देकर यह स्पष्ट करें कि जांच की अंतिम रिपोर्ट अभी आई नहीं है और उनकी रिपोर्ट केवल सीमित स्रोतों पर आधारित थी। रिपोर्टिंग के दौरान AAIB (Aircraft Accident Investigation Bureau) या NTSB जैसी अधिकृत संस्थाओं के अंतिम निष्कर्ष आने तक किसी भी पूर्वानुमानात्मक या दोषारोपणात्मक लेखन से बचने का आग्रह किया गया है।

क्यों यह केवल मानहानि का मामला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्रतिष्ठा का प्रश्न है?

भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र ने वैश्विक स्तर पर अपनी सुरक्षा, तकनीकी दक्षता और प्रशिक्षित मानव संसाधन के कारण सम्मान अर्जित किया है। विदेशी मीडिया का यह रवैया केवल मृत पायलटों की प्रतिष्ठा को नहीं, बल्कि भारतीय एविएशन सिस्टम की प्रोफेशनल वैलिडिटी को भी कलंकित करता है। इसके अलावा, यह रिपोर्टें कॉकपिट संसाधन प्रबंधन (CRM), human factors analysis, और विमान की तकनीकी परिस्थितियों की अनदेखी करके केवल मानव त्रुटि को लक्ष्य बना रही थीं, जो एकतरफा दृष्टिकोण है।

NTSB का हस्तक्षेप क्यों बना निर्णायक?

अमेरिकी राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (NTSB) की अध्यक्ष जेनिफर होमेंडी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस हादसे की जांच बहुस्तरीय और समय-संवेदनशील प्रक्रिया है, जिसमें पूर्वग्रह आधारित मीडिया रिपोर्टिंग नुकसानदायक हो सकती है। उन्होंने कहा, "हम भारत के AAIB द्वारा की जा रही जांच का पूर्ण समर्थन करते हैं और मीडिया से अपील करते हैं कि वे आधिकारिक प्रक्रिया का सम्मान करें।"

Location : 

Published :