

अब नया खेल कानून बीसीसीआई (BCCI) को अपने दायरे में लाएगा, जिससे उस पर सरकारी निगरानी बढ़ेगी। हालांकि, बीसीसीआई को आरटीआई (RTI) के दायरे से बाहर रखा गया है। यह फैसला भारतीय क्रिकेट संचालन पर क्या असर डालेगा, यहां समझिए…
RTI से बाहर रहेगा BCCI (Img: Internet)
New Delhi: मोदी सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2025 में अब संशोधन किया गया है। इस संशोधन से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) के दायरे से बाहर रखा गया है। इस संशोधन के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय ने RTI अधिनियम के एक प्रावधान का हवाला दिया है। जिसके मुताबिक, केवल सरकारी धन से चलने वाले निकाय ही सार्वजनिक प्राधिकरण माने जाएंगे।
विधेयक 23 जुलाई को संसद में पेश किया गया था, इसके खंड 15 (2) में एक प्रावधान था, जो सुनिश्चित करता था कि राष्ट्रीय खेल विधेयक द्वारा मान्यता प्राप्त सभी खेल निकाय सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण माने जाएंगे। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला है कि एक संशोधन के माध्यम से इस खंड को विधेयक से हटा दिया गया है।
RTI अधिनियम सार्वजनिक प्राधिकरण को संसद या राज्य विधानमंडल द्वारा पारित कानून द्वारा गठित किसी भी संस्था या निकाय के रूप में परिभाषित करता है। इसमें सरकार के स्वामित्व वाले, नियंत्रित या पर्याप्त रूप से वित्त पोषित निकाय शामिल हैं। इस मामले में, 'पर्याप्त रूप से वित्त पोषित' मुख्य शब्द है। संशोधन में एक नई धारा जोड़ी गई है। इसमें कहा गया है, "उप-धारा (1) के तहत केंद्र या राज्य सरकार से अनुदान या कोई अन्य वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाला कोई मान्यता प्राप्त खेल संगठन सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकरण माना जाएगा।"
इस संशोधन का उद्देश्य RTI अधिनियम की सीमाओं का पालन करते हुए पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। अब सभी राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) RTI अधिनियम के दायरे में आएंगे, लेकिन वे केवल सरकारी वित्तीय सहायता और अनुदान से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए बाध्य होंगे। पहले, RTI के तहत चयन प्रक्रिया सहित महासंघों की आंतरिक गतिविधियों पर भी सवाल किए जा सकते थे।
खेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह संशोधन इसलिए जरूरी था ताकि RTI अधिनियम का उल्लंघन न हो। उन्होंने कहा, "हमने सार्वजनिक प्राधिकरण की परिभाषा को स्पष्ट करते हुए इसे उन निकायों तक सीमित किया है जो सरकारी फंडिंग और सहायता पर निर्भर हैं। यह बदलाव विधेयक में मौजूद उस अस्पष्टता को दूर करता है, जो भविष्य में इसके खिलाफ कानूनी चुनौती बन सकती थी।"
बीसीसीआई इस विधेयक के दायरे में आएगा और अगर उसे किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता मिलती है तो उससे पूछताछ की जा सकती है। सूत्र ने कहा, "BCCI अभी भी विधेयक के दायरे में आएगा और उसे एक नैतिक आयोग, एक एथलीट समिति का गठन करना होगा और एक खेल नीति लागू करनी होगी। बुनियादी ढांचे सहित किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता के उपयोग पर बीसीसीआई से पूछताछ की जा सकती है।"
विधेयक में एक अहम बदलाव यह किया गया है कि राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) की मान्यता के लिए "सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम" के तहत पंजीकरण को एक अनिवार्य मानदंड बनाया गया है। चूंकि BCCI तमिलनाडु सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1975 के तहत पंजीकृत है, इसलिए अब वह भी इस नए खेल विधेयक के दायरे में आ जाएगा।