

भारत-नेपाल सीमा पर स्थित सोनौली बॉर्डर पर शनिवार को परिवहन विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए नेपाल जा रही 11 भारतीय बसों को बिना अंतरराष्ट्रीय परमिट के वापस लौटा दिया। अब नेपाल में प्रवेश करने वाली सभी बसों को अंतरराष्ट्रीय परमिट और भारतीय दूतावास से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। इस नई व्यवस्था से बस ऑपरेटरों और यात्रियों में हड़कंप मच गया है।
महराजगंज में परिवहन विभाग की सख्ती
Sonauli (Maharajganj): भारत-नेपाल सीमा पर स्थित सोनौली बॉर्डर पर शनिवार को परिवहन विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए नेपाल जा रही 11 भारतीय बसों को बिना अंतरराष्ट्रीय परमिट के वापस लौटा दिया। अब नेपाल में प्रवेश करने वाली सभी बसों को अंतरराष्ट्रीय परमिट और भारतीय दूतावास से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। इस नई व्यवस्था से बस ऑपरेटरों और यात्रियों में हड़कंप मच गया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, यह कदम भारत-नेपाल के बीच हुए द्विपक्षीय समझौतों के तहत उठाया गया है, जिससे सीमा पार परिवहन को नियमानुसार और पारदर्शी बनाया जा सके। सहायक परिवहन अधिकारी (पीटीओ) ने बताया कि अब किसी भी बस को बिना वैध परमिट के सीमा पार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह निर्णय नेपाल सरकार के साथ समन्वय में लिया गया है।
इस सख्ती का सबसे ज्यादा असर बस ऑपरेटरों पर पड़ा है। कई बस संचालकों ने बताया कि उन्हें इस नियम की कोई पूर्व जानकारी नहीं थी, जिसके चलते उनकी बसों को सोनौली बॉर्डर से लौटना पड़ा। इससे यात्रियों को भी भारी असुविधा झेलनी पड़ी, जो नेपाल के लुंबिनी, पोखरा और काठमांडू जैसे पर्यटक स्थलों की यात्रा पर जा रहे थे।
यात्रियों ने इस फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ लोगों ने इसे सकारात्मक कदम बताते हुए कहा कि इससे सीमा पर अव्यवस्था और अवैध गतिविधियों पर रोक लगेगी। वहीं, अन्य ने इसे अचानक लागू किया गया निर्णय बताया, जिससे लोगों को परेशानी उठानी पड़ी।
भारतीय दूतावास ने संकेत दिया है कि अंतरराष्ट्रीय परमिट की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए जल्द ही एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया जाएगा, जिससे बस ऑपरेटरों को डिजिटल माध्यम से परमिट प्राप्त करने में सुविधा हो सके।