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वाडिया इंस्टीट्यूट और IIT रुड़की वैज्ञानिक भूकंप के संभावित क्षेत्रों और तीव्रता पर शोध कर रहे हैं। उत्तराखंड में भूकंप का खतरा बना हुआ है, और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ मिलकर तैयारी की जा रही है।
उत्तराखंड में भूकंप की संभावनाओं पर वैज्ञानिक शोध
Dehradun: उत्तराखंड में भूकंप के खतरे को लेकर वैज्ञानिकों द्वारा लगातार शोध किया जा रहा है। इस विषय पर वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक, विनीत कुमार गहलोत ने हाल ही में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि वाडिया इंस्टीट्यूट और आईआईटी रुड़की दोनों संस्थाएं इस दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही हैं।
वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक के अनुसार, हिमालय क्षेत्र में भूकंप की संभावना के बारे में वैज्ञानिक शोध जारी है, जिसमें यह पता लगाया गया है कि भूकंप किस क्षेत्र में आ सकता है और उसकी तीव्रता क्या हो सकती है। हालांकि, भूकंप के समय और स्थान का सटीक पूर्वानुमान लगाना अभी भी चुनौतीपूर्ण है, जिसके लिए वैज्ञानिक गहराई से अध्ययन कर रहे हैं।
विनीत कुमार गहलोत ने यह भी बताया कि भूकंप के जोखिम से निपटने के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर योजनाएं बनाई जा रही हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को कई अधिकार दिए हैं और दोनों प्राधिकरण मिलकर आपदा प्रबंधन के उपायों पर काम कर रहे हैं। इन प्रयासों से राज्य में आपदा प्रबंधन की तैयारी को बेहतर बनाया जा रहा है, जिससे भविष्य में भूकंप के संभावित प्रभावों से निपटने में मदद मिल सके।
वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक विनीत कुमार गहलोत
गहलोत ने यह भी बताया कि उत्तराखंड में वैज्ञानिक स्तर पर अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर काम हो रहा है। राज्य में भूकंप से निपटने के लिए एक मजबूत प्रणाली तैयार की जा रही है। इसमें वैज्ञानिक, प्रशासनिक और सरकारी एजेंसियां एकजुट होकर कार्य कर रही हैं। भूकंप के खतरे को लेकर समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं ताकि आम लोगों को इसके प्रति सजग किया जा सके।
उत्तराखंड के भूकंप जोन 5 में स्थित होने के कारण यहां भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है। यह राज्य न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है। इसलिए, भूकंप की तीव्रता, संभावित क्षेत्रों और समय का पूर्वानुमान लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भूकंप का सटीक पूर्वानुमान नहीं किया जा सकता, तो भी तैयारियां और जागरूकता इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। राज्य सरकार और वैज्ञानिक मिलकर इस दिशा में लगातार प्रयासरत हैं, ताकि आने वाले समय में उत्तराखंड को भूकंप जैसी आपदा से बचाने के लिए तैयार किया जा सके।