

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तालाब और सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमण की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग को पुलिस सुरक्षा न प्रदान करने पर गोरखपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को कड़ा रुख अपनाते हुए 16 जुलाई को दोपहर 2 बजे कोर्ट में तलब किया है।
हाई कोर्ट ने SSP को किया तलब
Gorakhpur: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तालाब और सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमण की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग को पुलिस सुरक्षा न प्रदान करने पर गोरखपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को कड़ा रुख अपनाते हुए 16 जुलाई को दोपहर 2 बजे कोर्ट में तलब किया है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकलपीठ ने एसएसपी की इस लापरवाही को प्रथम दृष्टया "सबसे गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार" करार दिया है।
डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट के अनुसार मामला ग्राम कटया, टप्पा हवेली, तहसील खजनी में तालाब की जमीन पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण से जुड़ा है। भानु प्रताप और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने एसएसपी से जवाब मांगा है कि उन्होंने न्यायाधीश (लघु वाद न्यायालय) को आवश्यक पुलिस बल उपलब्ध कराने के आदेश का पालन क्यों नहीं किया, जो आयोग की भूमिका में थे।
22 मई 2025 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गोरखपुर के लघु वाद न्यायालय के न्यायाधीश को तालाब और सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमण की जांच के लिए आयोग गठित करने का आदेश दिया था। आयोग को तीन निश्चित बिंदु विधि और टोटल स्टेशन विधि से भूखंड का सर्वेक्षण करना था। इसके लिए एक सर्वेक्षण अमीन, लोक निर्माण विभाग का तकनीकी विशेषज्ञ और पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था। लेकिन, न्यायाधीश की रिपोर्ट के अनुसार, एसएसपी गोरखपुर ने कोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस बल उपलब्ध नहीं कराया।
रिपोर्ट में कहा गया कि आदेश की प्रति मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम), गोरखपुर के माध्यम से भेजी गई थी, फिर भी पुलिस ने कोई सहयोग नहीं किया। न्यायाधीश ने बताया कि जब वे सर्वेक्षण के लिए मौके पर पहुंचे, तो ग्रामीणों और कुछ लोगों ने बहस और झड़प की कोशिश की। हालांकि, उनकी चतुराईपूर्ण बातचीत के कारण स्थिति नियंत्रित हुई और सर्वेक्षण सफलतापूर्वक पूरा हुआ।
हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएसपी की जवाबदेही तय करने का फैसला किया। कोर्ट ने कहा कि यह आदेश की अवमानना का मामला है और इसे "गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार" माना जाएगा। कोर्ट ने एसएसपी को 16 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जवाब देने का आदेश दिया है।
यह मामला गोरखपुर में तालाबों और सार्वजनिक जमीनों पर बढ़ते अतिक्रमण की समस्या को उजागर करता है। स्थानीय लोगों और प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा तालाब की जमीन पर अवैध निर्माण और कब्जे की शिकायतें लंबे समय से सामने आ रही हैं। इस पीआईएल के माध्यम से ग्राम कटया के तालाब को बचाने की मांग की गई है, जो पर्यावरण और सामुदायिक उपयोग के लिए महत्वपूर्ण है।
हाई कोर्ट का यह कदम न केवल पुलिस प्रशासन की जवाबदेही को रेखांकित करता है, बल्कि सार्वजनिक जमीनों के संरक्षण और अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत को भी उजागर करता है। 16 जुलाई को होने वाली सुनवाई में एसएसपी के जवाब पर सभी की निगाहें टिकी हैं। यह मामला न केवल गोरखपुर, बल्कि पूरे प्रदेश में तालाबों और सार्वजनिक संसाधनों के संरक्षण के लिए एक मिसाल बन सकता है। गोरखपुर में तालाबों पर अतिक्रमण के खिलाफ जनहित याचिका और हाई कोर्ट का सख्त रवैया इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाता है। पुलिस की लापरवाही पर कोर्ट की नाराजगी और एसएसपी को तलब करना यह संदेश देता है कि न्यायिक आदेशों का पालन न करने की कोई गुंजाइश नहीं है। यह मामला स्थानीय प्रशासन और समाज के लिए एक चेतावनी है कि सार्वजनिक संसाधनों की रक्षा के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।