

उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड को खत्म कर नए विधेयक के तहत मदरसों को प्राधिकरण से मान्यता लेना अनिवार्य किया जाएगा। यह नया कानून 1 जुलाई 2026 से लागू होगा। इस फैसले पर राजनीतिक दलों में मतभेद हैं, जहां भाजपा इसे सुधार का कदम मानती है।
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड
Dehradun: उत्तराखंड मदरसा बोर्ड को राज्यपाल की मंजूरी मिलने वाले नए विधेयक के तहत 1 जुलाई 2026 से समाप्त कर दिया जाएगा। इस फैसले के बाद राज्य में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा। अब मदरसों को धार्मिक शिक्षा देने के लिए नए प्राधिकरण से मान्यता लेना अनिवार्य होगा। यह निर्णय अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान कानून के लागू होने के बाद उठाया गया है, जो मदरसा शिक्षा के आधुनिकीकरण और बेहतर नियंत्रण के उद्देश्य से लाया गया है।
उत्तराखंड सरकार ने मदरसा शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए नया अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान कानून लागू किया है। इसके अंतर्गत सभी मदरसों को अब 2026-27 से इस कानून के तहत गठित प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त करनी होगी। यह प्राधिकरण मदरसों की शिक्षा गुणवत्ता, वित्तीय पारदर्शिता और जमीन से जुड़ी वैधानिक मांगों की जांच करेगा।
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड
• मदरसा की जमीन संस्थान के नाम पर होनी चाहिए।
• संस्थान का बैंक खाता किसी मान्यता प्राप्त कमर्शियल बैंक में उसके नाम से खुला हो।
• सभी वित्तीय लेनदेन उसी बैंक खाते के जरिए किए जाएं।
• प्राधिकरण द्वारा दी गई मान्यता तीन शैक्षणिक सत्रों के लिए वैध होगी, उसके बाद नवीनीकरण कराना होगा।
राज्य में मदरसा बोर्ड की समाप्ति की तारीख 1 जुलाई 2026 निर्धारित की गई है। इसके बाद कोई भी मदरसा उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2016 और 2019 की नियमावली के प्रावधानों के बिना शिक्षा नहीं दे सकेगा। इस बदलाव का असर शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों पर भी पड़ेगा, जो अब नए नियमों और प्राधिकरण के साथ तालमेल बैठाएंगे।
• भाजपा नेता इस कदम को शिक्षा में सुधार और आधुनिकता लाने की दिशा में सही कदम मान रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह प्राधिकरण अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को सही दिशा देगा और उनकी शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाएगा।
• वहीं, कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस निर्णय का कड़ा विरोध किया। हरीश रावत ने कहा कि मदरसा बोर्ड को खत्म करना मदरसा शिक्षा के आधुनिकीकरण की गति को रोकने जैसा है और इससे अल्पसंख्यक समुदाय की शिक्षा प्रभावित होगी।
इस बदलाव के बाद मदरसा बोर्ड के अंतर्गत पढ़ने वाले हजारों छात्र और उनके अभिभावक चिंतित हैं। वे जानना चाहते हैं कि शिक्षा की गुणवत्ता और प्रमाणिकता कैसे सुनिश्चित होगी। सरकारी अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि नया प्राधिकरण पारदर्शिता और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देगा और छात्रों के हितों की रक्षा करेगा।
उत्तराखंड सरकार, शिक्षा विभाग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने मदरसा शिक्षा में इस बदलाव को लेकर व्यापक तैयारी शुरू कर दी है। प्राधिकरण के गठन की प्रक्रिया जारी है और मदरसों को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।
इस नए कानून से मदरसा शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण सुधार, वित्तीय पारदर्शिता और आधुनिकीकरण की उम्मीद है। सरकार का लक्ष्य है कि मदरसा शिक्षा को आधुनिक शिक्षा प्रणाली के साथ जोड़कर अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को बेहतर अवसर प्रदान किए जाएं।