

यमुना नदी में लगातार बढ़ रहे जलस्तर ने उत्तर प्रदेश के कई गांवों को बाढ़ के खतरे में डाल दिया है। नदी का पानी खेतों, घरों और रास्तों तक पहुंच गया है। स्थानीय ग्रामीणों ने मोटरबोट सुविधा की मांग की है, ताकि बीमार लोगों के इलाज और बच्चों की पढ़ाई में मदद मिल सके।
नदी के उफान से बिगड़े हालात
Agra: यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। बड़ापुरा, गगनकी, रामपुर चंद्रसेनी, विक्रमपुर कछार, विक्रमपुर घाट, चरीथा, बाग गुढ़ियाना, कचौरा घाट और पुरा चतुर्भुज जैसे गांवों तक नदी का पानी पहुंच चुका है। इन इलाकों में तिल, बाजरा और सब्जियों की फसलें पूरी तरह डूब गई हैं। तराई क्षेत्र के खेतों में भी पानी भर गया है, जिससे किसानों की मुश्किलें कई गुना बढ़ गई हैं। गांव के स्थानीय निवासियों मोहन भदौरिया, प्रदीप भदौरिया, दिलीप सिंह, रामवीर सिंह, मनोज भदौरिया, दिनेश भदौरिया, नारायण सिंह भदौरिया, सर्वेश कुमार, करन सिंह आदि ने प्रशासन से मोटरबोट सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है। उनका कहना है कि बाढ़ के हालात में बच्चों की पढ़ाई और बीमार लोगों की दवाइयों के लिए नदी पार जाना जरूरी होता है, ऐसे में मोटरबोट ही एकमात्र सहारा है।
5 बाढ़ चौकियां स्थापित
बाढ़ के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने राहत और बचाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। बाह के एसडीएम हेमंत कुमार ने बताया कि फिलहाल 5 बाढ़ चौकियां बटेश्वर, विक्रमपुर, पारना, कचौराघाट और रामपुर चंद्रसेनी में बनाई गई हैं। नदी के जलस्तर पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और गांवों में मुनादी कर लोगों को चेतावनी दी जा रही है कि वे नदी क्षेत्र की ओर न जाएं। राजस्व विभाग और लेखपालों को निर्देश दिए गए हैं कि वे लगातार गांवों में निगरानी बनाए रखें और स्थिति बिगड़ने से पहले रिपोर्ट करें। प्रशासन का कहना है कि 22 अगस्त तक नदी में उफान बना रह सकता है, ऐसे में लोगों को पूरी सतर्कता बरतनी चाहिए।
वन विभाग का अलर्ट
नदी के जलस्तर में वृद्धि के चलते अब वन्यजीवों के गांवों में आने का खतरा भी बढ़ गया है। उफान का पानी जब बीहड़ों और खादरों में भर जाता है, तो वहां रहने वाले लकड़बग्घा, सियार जैसे जानवर सुरक्षित स्थान की तलाश में इंसानी बस्तियों की ओर रुख कर सकते हैं। जैतपुर के रेंजर कोमल सिंह ने बताया कि ग्रामीणों को चेताया गया है कि अगर वे अपने इलाके में कोई वन्यजीव देखें, तो तुरंत वन विभाग को सूचना दें। उन्होंने कहा कि यमुना नदी के उफान के दौरान बीहड़ क्षेत्र में पशुओं को चराने न ले जाएं। यह न सिर्फ जानवरों, बल्कि इंसानों के लिए भी खतरनाक हो सकता है। वन विभाग की टीमों ने कचौरा घाट, नौगवां, पुरा चतुर्भुज, खिलावली, चंद्रपुर, पूठा, संजेती, गढ़ी बरौली, गढ़वार, कमतरी, पारना जैसे गांवों में जाकर लोगों को अलर्ट किया है। इसके अलावा बाह के सुंसार, कोट, सिधावली, विक्रमपुर कछार, बड़ापुरा, भौंर, कलींजर, बिठौली जैसे गांवों में भी सतर्कता अभियान चलाया गया है।
फतेहाबाद में डूबी घाट की सीढ़ियां
फतेहाबाद के भोलपुरा गांव के पास स्थित जोनश्वर घाट की सभी सीढ़ियां यमुना के पानी में डूब चुकी हैं। यह नजारा बाढ़ की गंभीरता को दर्शाता है। लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं। मवेशियों को चराने, खेतों में काम करने या बच्चों के स्कूल जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन ने बार-बार चेतावनी जारी की है कि बच्चों, बुजुर्गों और मवेशियों को नदी किनारे न ले जाएं। मुनादी और पोस्टर के जरिए भी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रहने को कहा जा रहा है।
फसलें पूरी तरह बर्बाद
बाढ़ का सबसे गहरा असर किसानों पर पड़ा है। बाजरा, तिल और सब्जियों की फसलें जिनसे किसान पूरे साल की उम्मीद लगाते हैं, अब पूरी तरह जलमग्न हो चुकी हैं। न सिर्फ वर्तमान फसल, बल्कि अगली बुवाई की तैयारी पर भी असर पड़ने की आशंका है, क्योंकि पानी पूरी तरह उतरने में कई हफ्ते लग सकते हैं।