

बिहार में बाढ़ से प्रभावित लाखों लोगों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 6 लाख 51 हजार 602 परिवारों के खातों में 7000 रुपये प्रति परिवार की दर से राहत राशि ट्रांसफर की है। बक्सर, भागलपुर, कटिहार, आरा और पटना समेत कई जिलों में बाढ़ और कटाव ने भारी तबाही मचाई है।
नीतीश कुमार
Patna: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से 7000 रुपये प्रति परिवार की दर से सीधी आर्थिक सहायता दी है। इस राहत योजना के तहत कुल 6 लाख 51 हजार 602 परिवारों को बैंक खातों में पैसा ट्रांसफर किया गया, जिसकी कुल राशि 456 करोड़ 12 लाख रुपये है। यह रकम किसी सामान्य सरकारी योजना के तहत नहीं, बल्कि "आनुग्रहिक राहत" के रूप में दी गई है, जो आपदा से प्रभावित परिवारों की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए दी गई है।
CM नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर दी जानकारी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक्स पर इस राहत वितरण की जानकारी साझा करते हुए लिखा "आज 1, अणे मार्ग स्थित ‘संकल्प’ से बाढ़ से प्रभावित कुल 6,51,602 परिवारों के बैंक खाते में ₹7000 प्रति परिवार की दर से कुल ₹456.12 करोड़ की आनुग्रहिक राहत राशि DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से अंतरित की गई। राज्य के खजाने पर पहला हक आपदा पीड़ितों का है।" इसके साथ ही उन्होंने लोगों से सितंबर महीने तक सतर्क रहने की अपील की है क्योंकि राज्य में बाढ़ की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं आई है।
किन जिलों को हुआ सबसे ज्यादा नुकसान?
बिहार के जिन जिलों में सबसे ज्यादा तबाही हुई। उनमें बक्सर, भागलपुर, कटिहार, आरा, पटना, मुंगेर, नालंदा और बेगूसराय शामिल हैं। इन जिलों में गंगा, घाघरा और कोसी जैसी नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ने के कारण 60 से ज्यादा प्रखंडों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं।
38 लाख से ज्यादा आबादी प्रभावित
बिहार सरकार के अनुसार, बाढ़ की वजह से राज्य की लगभग 38 लाख की आबादी प्रभावित हुई है। सिर्फ खेत और फसलें ही नहीं, बल्कि हजारों घरों को भी नुकसान पहुंचा है। कई गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं, जिससे लोगों को पलायन करना पड़ा है। किसानों की फसलें नष्ट हो गईं, पशु मारे गए और लोगों के घरों में पानी भर गया। कई गांवों में तो पीने का पानी और खाने के सामान तक की भारी किल्लत देखी गई।
नीतीश कुमार का हवाई दौरा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राहत राशि ट्रांसफर करने से पहले बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण भी किया था। उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि बाढ़ पीड़ितों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाए। सीएम ने यह भी कहा कि सभी प्रशासनिक और आपदा प्रबंधन अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रखा गया है, ताकि अगर स्थिति और बिगड़े, तो तुरंत कार्रवाई हो सके।
राहत के लिए DBT सिस्टम का इस्तेमाल
राहत राशि वितरण के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है, जिससे पैसे सीधे पीड़ितों के बैंक खातों में पहुंच रहे हैं। यह व्यवस्था पारदर्शिता और त्वरित सहायता सुनिश्चित करने के लिए लागू की गई है। इस प्रणाली से न सिर्फ बिचौलियों की भूमिका खत्म होती है, बल्कि इससे पीड़ितों को बिना किसी देरी के सीधी राहत मिलती है।
"आपदा पीड़ितों का है खजाने पर पहला हक"
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा "राज्य सरकार का मानना है कि राज्य के खजाने पर पहला हक आपदा पीड़ितों का है। ऐसे कठिन समय में सरकार लोगों के साथ खड़ी है और उनकी हर जरूरत को प्राथमिकता दी जा रही है।" नीतीश कुमार की यह टिप्पणी उनकी संवेदनशील राजनीतिक छवि को दर्शाती है और यह भी दिखाती है कि वह आपदा के समय तेजी से निर्णय लेने में विश्वास रखते हैं।
"सरकार ने समय रहते कदम उठाया"
बाढ़ प्रभावित इलाकों में कई लोगों ने राहत राशि को लेकर संतोष जाहिर किया है। बक्सर जिले के एक पीड़ित किसान ने बताया "हमारी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी। घर में राशन भी नहीं था। सरकार की तरफ से जो पैसा आया है, उससे अब कम से कम कुछ जरूरी चीजें ले सकेंगे।" हालांकि, कुछ लोगों ने यह भी मांग की कि राशि को बढ़ाया जाए, क्योंकि नुकसान बहुत ज्यादा है और 7000 रुपये में सबकुछ संभालना मुश्किल है।