

मुजफ्फरनगर में एक मुस्लिम परिवार दशहरे पर सांप्रदायिक सौहार्द की अनोखी मिसाल पेश कर रहा है। 60 सालों से यह परिवार रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले बनाकर हिंदू पर्व का हिस्सा बनता आ रहा है।
रावण का हाईटेक पुतला
Muzaffarnagar: जहां एक ओर देश में धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले पोस्टर और बयानों को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है, वहीं उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से एक सांप्रदायिक सौहार्द और एकता की प्रेरणादायक मिसाल सामने आई है। दशहरे जैसे पारंपरिक हिन्दू पर्व पर यहां एक मुस्लिम परिवार पिछले 60 सालों से रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का निर्माण करता आ रहा है, और इस बार भी वही परंपरा पूरी श्रद्धा के साथ निभाई जा रही है।
इस बार खास बात यह है कि दशहरे पर दहन होने वाले पुतले हाईटेक तकनीक से लैस होंगे। रिमोट कंट्रोल से रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाएगा। साथ ही, इन पुतलों में विशेष आतिशबाजी और रंग-बिरंगी सजावट की गई है जो इसे और भी आकर्षक बनाएगी।
रफीक कारीगर, जो इस कार्य को अपनी तीसरी पीढ़ी के साथ आगे बढ़ा रहे हैं, बताते हैं कि यह काम उनके पिता ने 1964 में उत्तराखंड के ऋषिकेश (IDPL) से शुरू किया था। तब से लेकर आज तक यह परिवार लगातार दशहरे के पुतले बनाता आ रहा है। रफीक कहते हैं कि, यह अब हमारी तीसरी पीढ़ी है। पहले मेरे पिता बनाते थे, फिर मैंने काम संभाला और अब मेरा भांजा भी इस परंपरा को निभा रहा है।
इस वर्ष बनाए जा रहे पुतलों में तकनीक और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। जैसे- रावण की ऊंचाई- 60 फीट, मेघनाद- 50 फीट, कुंभकर्ण- 45 फीट। इन पुतलों को बनाने में करीब 1 से डेढ़ महीना लगता है। पूरा ढांचा बांस, कपड़े और आतिशबाजी से तैयार किया जाता है। रफीक की टीम में कुल 10 लोग शामिल हैं, जिनमें से 4 उनके परिवार के हैं और 6 अन्य बाहर से जुड़े हुए कारीगर हैं।
मुजफ्फरनगर में इस बार दशहरे पर दहन होने वाले रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले हाईटेक तकनीक से लैस होंगे#MuzaffarnagarNews #Dussehra2025 #RavanDahan pic.twitter.com/QqbZ3gET8W
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) September 30, 2025
इस बार इन पुतलों में रिमोट कंट्रोल से आतिशबाजी की व्यवस्था की गई है, जिससे दूर से ही दहन प्रक्रिया संचालित की जा सकेगी। इसका मकसद है सुरक्षा सुनिश्चित करना और दर्शकों को तकनीकी रूप से बेहतर अनुभव देना।
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मुजफ्फरनगर के नुमाइश ग्राउंड में इस बार का दशहरा खास होगा, जहां ये विशालकाय पुतले लगाए जाएंगे। यही वह जगह है जहां पिछले कई वर्षों से रफीक और उनकी टीम अपनी कला का प्रदर्शन करते आ रहे हैं। रफीक ने बताया, हम मोती महल, मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं और हर साल नुमाइश ग्राउंड में ही अपने पुतले तैयार करते हैं। हमारी टीम का सबसे अनुभवी सदस्य ओमप्रकाश जी हैं, जो मेरे पापा के समय से ही हमारे साथ जुड़े हुए हैं।
रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले
ऐसे समय में जब देश में धार्मिक ध्रुवीकरण की खबरें आम होती जा रही हैं, रफीक और उनका परिवार एकता की ऐसी मिसाल पेश कर रहा है जो दिल को छू लेने वाली है। दशहरा, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, को यह परिवार किसी एक धर्म का पर्व न मानकर भारतीय संस्कृति और सामाजिक सद्भाव का पर्व मानता है। हमने कभी किसी भेदभाव का सामना नहीं किया। हमें हमेशा लोगों से प्यार और सम्मान मिला है, रफीक मुस्कुराते हुए बताते हैं।
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इस बार दशहरे का पर्व 2 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। रिमोट कंट्रोल से होने वाला दहन आयोजकों और प्रशासन दोनों के लिए एक नया अनुभव होगा। नगर प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं ताकि हजारों की संख्या में पहुंचने वाली भीड़ को कोई असुविधा न हो।