

फतेहपुर जिले के कल्यानपुर थाने में शनिवार को मिशन शक्ति फेज-5 अभियान के तहत एक अनोखा और प्रेरणादायक दृश्य देखने को मिला। कंपोजिट विद्यालय पहरवापुर, ब्लॉक मलवां की कक्षा 8 की छात्रा सानिया, पुत्री कमलेश को एक दिन का थाना प्रभारी बनाया गया।
8वीं की छात्रा को बनाया गया एक दिन के लिए थाना प्रभारी
Fatehpur: फतेहपुर जिले के कल्यानपुर थाने में शनिवार को मिशन शक्ति फेज-5 अभियान के तहत एक अनोखा और प्रेरणादायक दृश्य देखने को मिला। कंपोजिट विद्यालय पहरवापुर, ब्लॉक मलवां की कक्षा 8 की छात्रा सानिया, पुत्री कमलेश को एक दिन का थाना प्रभारी बनाया गया। इस पहल का उद्देश्य बालिकाओं में आत्मविश्वास बढ़ाना, उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और सशक्तिकरण की भावना को प्रोत्साहित करना था।
सानिया जैसे ही थाना प्रभारी की कुर्सी पर बैठीं, पूरा माहौल प्रेरणा से भर उठा। उन्होंने विधिवत जनसुनवाई की प्रक्रिया अपनाई और थाना परिसर में आने वाले लोगों की समस्याओं को गंभीरता से सुना। सानिया ने महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया और उन्हें उनके अधिकारों और सुरक्षा संबंधी कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने मिशन शक्ति अभियान के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महिलाओं और बालिकाओं को आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाने के लिए यह एक बहुत ही प्रभावी पहल है।
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अपनी भूमिका को निभाते हुए सानिया ने कहा कि उनका सपना है कि वे बड़ी होकर एक पुलिस अफसर बनें। वे चाहती हैं कि समाज से भय और अन्याय समाप्त हो, और हर नागरिक खुद को सुरक्षित महसूस करे। उन्होंने कहा कि यदि लड़कियों को सही मार्गदर्शन और अवसर मिले, तो वे हर क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं।
मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों, शिक्षकों और स्थानीय लोगों ने सानिया के आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता की सराहना की। कल्यानपुर थाने के अधिकारियों ने कहा कि इस प्रकार की गतिविधियां बच्चों में नेतृत्व की भावना को जगाती हैं और उन्हें समाज के प्रति जिम्मेदार बनाती हैं। शिक्षकों ने भी छात्रा की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह पहल निश्चित रूप से अन्य छात्राओं को भी प्रेरित करेगी।
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मिशन शक्ति के तहत आयोजित यह कार्यक्रम न केवल एक बालिका के सपने को उड़ान देने का जरिया बना, बल्कि यह संदेश भी दिया कि आज की बेटियां हर चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं। इस आयोजन ने समाज को यह सोचने पर मजबूर किया कि बेटियों को केवल पढ़ाना ही नहीं, बल्कि उन्हें नेतृत्व के अवसर भी देना चाहिए।
इस तरह सानिया की यह एक दिन की जिम्मेदारी, बालिकाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम बन गई।