

शारदीय नवरात्रि 2025 में सप्तमी से दशमी तक की तिथियों को लेकर भक्तों में असमंजस है। वजह यह है कि इस बार तृतीया तिथि का पालन दो दिन तक किया गया, जिससे आगे की तिथियों के बारे में अलग-अलग मत सामने आने लगे। जानें सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशहरा पूजा की सही तिथियां और महत्व।
षष्ठी-सप्तमी का महत्व
New Delhi: शारदीय नवरात्रि 2025 का आरंभ 23 सितंबर से हुआ था और अब भक्त अंतिम दिनों की तैयारियों में जुटे हैं। नवरात्रि में सप्तमी से दशमी तक का विशेष महत्व माना जाता है, लेकिन इस वर्ष तिथियों को लेकर भक्तों के बीच भ्रम की स्थिति बन गई है। वजह यह है कि इस बार तृतीया तिथि का पालन दो दिन तक किया गया, जिससे आगे की तिथियों के बारे में अलग-अलग मत सामने आने लगे।
29 सितंबर 2025 को नवरात्रि का सातवां दिन होगा। इस दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाएगी। पंचांग के अनुसार, षष्ठी तिथि 28 सितंबर को दोपहर 2:28 बजे तक रहेगी। इसके बाद सप्तमी तिथि का आरंभ होगा, जो 29 सितंबर को शाम 4:31 बजे तक जारी रहेगी। उदयातिथि के अनुसार सप्तमी का व्रत और पूजा सोमवार, 29 सितंबर को की जाएगी।
नवरात्रि की कौन सी तिथि है आज
सप्तमी के दिन शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है और साधक को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। भक्त मां कालरात्रि की उपासना कर भय और बाधाओं से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।
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सप्तमी के अगले दिन, 30 सितंबर 2025 को महाअष्टमी मनाई जाएगी। अष्टमी का दिन नवरात्रि का सबसे विशेष दिन माना जाता है। इस दिन मां महागौरी की पूजा होती है। भक्त इस अवसर पर कन्या पूजन और भोग अर्पण करते हैं। परंपरा के अनुसार नौ छोटी कन्याओं को घर बुलाकर उनका पूजन कर भोजन कराया जाता है। इसे नवरात्रि की सबसे पुण्यदायी रस्म माना गया है।
1 अक्टूबर 2025 को महा नवमी का पर्व होगा। इस दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। नवमी तिथि को भी कन्या पूजन का विशेष महत्व है। कई स्थानों पर अष्टमी और नवमी को एक साथ कन्या पूजन करने की परंपरा भी निभाई जाती है। माना जाता है कि इस दिन किया गया व्रत और दान मोक्ष और समृद्धि प्रदान करता है।
2 अक्टूबर 2025 को दशमी तिथि के साथ नवरात्रि का समापन होगा। इस दिन विजयादशमी या दशहरा पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध कर धर्म की स्थापना की थी। देशभर में रावण दहन का आयोजन किया जाएगा और भक्त मां दुर्गा की विदाई कर उनकी प्रतिमाओं का विसर्जन करेंगे।