

नवरात्रि के छठे दिन देवी मां के कात्यायनी स्वरूप की आराधना की जाती है। मां कात्यायनी शेर पर सवार होती हैं, उनका मुख तेजस्वी होता है और उनके चार भुजा होते हैं। यह रूप शक्ति, साहस और संघर्ष की प्रतिमूर्ति माना जाता है।
नवरात्रि का छठा दिन
New Delhi: नवरात्रि के छठे दिन देवी मां के कात्यायनी स्वरूप की आराधना की जाती है। मां कात्यायनी शेर पर सवार होती हैं, उनका मुख तेजस्वी होता है और उनके चार भुजा होते हैं। यह रूप शक्ति, साहस और संघर्ष की प्रतिमूर्ति माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा श्रद्धा एवं भक्ति से की जाती है जिससे जीवन में प्रेम, सौंदर्य और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।
छठे दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ एवं विशेष रूप से पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा का संकल्प लेना चाहिए। पीला रंग मां कात्यायनी को विशेष रूप से प्रिय माना जाता है, इसलिए पीले फूल अर्पित किए जाते हैं। पूजा में कलश पूजन के बाद देवी का आह्वान किया जाता है और कात्यायनी मंत्र का जप किया जाता है। पूजा में धूप, दीप, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करना श्रेष्ठ माना गया है। अंत में आरती उतारकर मां को प्रसन्न किया जाता है।
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मां कात्यायनी को शहद और पीले रंग के हलवे का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा गुड़, बूंदी के लड्डू, मालपुआ, नारियल, खीर और पके हुए पीले फल भी उनकी पसंदीदा वस्तुएं हैं। इन भोगों को अर्पित करने से साधक को विवाह-सुख, सौभाग्य तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
इस हलवे को बनाने के लिए सूजी, गाय का घी, शहद, पानी, काजू, किशमिश, चिरौंजी, केसर और इलायची का उपयोग किया जाता है। सबसे पहले कड़ाही में घी गर्म कर सूजी को हल्का भून लें। एक अन्य बर्तन में पानी उबालकर उसमें कटे हुए मेवे डालें। फिर भुनी हुई सूजी, केसर, और शहद मिलाएं। हलवे के गाढ़ा होने पर इलायची पाउडर डालकर अच्छी तरह मिलाएं। यह हलवा मां को अर्पित करने के लिए तैयार है।
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पूजा के दौरान निम्न मंत्र का जाप अत्यंत शुभ माना जाता है:
“या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
यह मंत्र मां की शक्ति का आह्वान करता है और साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है। इस प्रकार नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा और भोग की यह विधि धार्मिक अनुष्ठान को पूर्णता प्रदान करती है और भक्तों को आशीर्वादित करती है।