हिंदी
लखनऊ में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चुनाव को लेकर जहां सत्ताधारी दल में उत्साह का माहौल है, वहीं समाजवादी पार्टी ने इसे लेकर तीखा कटाक्ष किया है। सपा प्रवक्ता मनोज यादव ने कहा कि भाजपा में कोई भी प्रदेश अध्यक्ष बने, उससे पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समाज को कोई लाभ नहीं मिलता।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज यादव
Lucknow: भारतीय जनता पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर जहां सत्ताधारी खेमे में जश्न और उत्साह का माहौल है। वहीं, विपक्षी समाजवादी पार्टी ने इस पूरे घटनाक्रम पर सवाल खड़े किए हैं। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज यादव ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा वाले भले ही खुशियां मना लें, लेकिन इससे समाज के कमजोर और पिछड़े वर्गों की स्थिति में कोई बदलाव आने वाला नहीं है।
डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज यादव ने कहा कि भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष कोई भी बने, उसकी प्राथमिकता कभी भी अपनी जाति या समाज का भला करना नहीं रही। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब भूपेंद्र चौधरी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे, तब जाट किसानों पर पुलिस ने लाठियां चलाईं। इससे साफ होता है कि सत्ता में रहते हुए भाजपा नेतृत्व ने अपने ही समाज के लोगों की आवाज नहीं सुनी।
उन्होंने आगे कहा कि जब स्वतंत्र देव सिंह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे, तब यह सवाल उठता है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के कुर्मी समाज के लिए क्या किया। सपा प्रवक्ता ने दावा किया कि भाजपा नेतृत्व सिर्फ सत्ता और पद की राजनीति करता है, जमीनी स्तर पर किसी भी समाज को न्याय या सम्मान नहीं मिलता।
मनोज यादव ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के बदलाव से समाजवादी पार्टी की PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) राजनीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी पूरी मजबूती के साथ पिछड़े वर्ग, दलितों और अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चल रही है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि जो अगड़ा वर्ग बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के आदर्शों को मानता है, वह भी समाजवादी पार्टी का हिस्सा है।
चुनाव आयोग द्वारा SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) की समय सीमा बढ़ाए जाने को लेकर भी मनोज यादव ने भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि जब भाजपा ने यह देखा कि उसके कई समर्थकों और वोटरों के नाम अभी तक मतदाता सूची में नहीं चढ़ पाए हैं, तब चुनाव आयोग ने समय सीमा बढ़ा दी। उन्होंने इसे निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करने वाला कदम बताया।