

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब केवल तकनीक की प्रगति नहीं, बल्कि एक बढ़ता हुआ खतरा बन गया है। OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने फेडरल रिजर्व कॉन्फ्रेंस में वित्तीय संस्थानों को चेतावनी दी है कि अगर सावधानी नहीं बरती गई तो AI आम लोगों की जमा-पूंजी को मिनटों में साफ कर सकता है।
AI बन रहा खतरा!
New Delhi: OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने एक अहम सम्मेलन के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरों को लेकर दुनिया को आगाह किया है। उन्होंने फेडरल रिजर्व कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए कहा कि AI अब साइबर अपराधियों के लिए सबसे बड़ा हथियार बनता जा रहा है। उन्होंने साफ कहा कि अगर बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने अपनी सुरक्षा प्रणाली को जल्द अपडेट नहीं किया, तो आम लोगों की जिंदगी की कमाई खतरे में पड़ सकती है।
"बैंकों को AI से भी ज्यादा स्मार्ट बनना होगा"
ऑल्टमैन ने बैंकों से अपील की कि उन्हें AI से एक कदम आगे रहना होगा। उन्होंने कहा कि परंपरागत सुरक्षा उपाय जैसे पासवर्ड, OTP या वॉयस ऑथेंटिकेशन अब पर्याप्त नहीं हैं। साइबर अपराधी AI की मदद से इन सभी उपायों को मात दे रहे हैं। उनके अनुसार आज AI से लैस हैकर्स कुछ ही मिनटों में बैंकिंग सिस्टम को चकमा दे सकते हैं और खातों में सेंध लगा सकते हैं।
Deepfake और Voice Clone
AI से बने डीपफेक वीडियो और वॉयस क्लोनिंग तकनीक अब इतनी उन्नत हो चुकी है कि असली और नकली में फर्क करना बेहद मुश्किल हो गया है। वॉयसप्रिंट ऑथेंटिकेशन, जो पहले सुरक्षित माना जाता था, अब AI से तैयार नकली आवाजों के सामने बेअसर हो रहा है। ऑल्टमैन ने चेताया कि अगला खतरा फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी पर है। AI अब चेहरे की नकल इतनी कुशलता से कर सकता है कि सुरक्षा प्रणाली भ्रमित हो जाए।
AI बना साइबर ठगों का नया हथियार
Generative AI अब सिर्फ रचनात्मक कामों तक सीमित नहीं रहा। अब इसका इस्तेमाल ठगी के लिए स्क्रिप्ट लिखने, फर्जी कॉल्स करने, जाली दस्तावेज़ तैयार करने और पहचान छिपाने जैसे कार्यों में हो रहा है। ऑल्टमैन के मुताबिक AI ने अपराधियों को पहले से कहीं ज्यादा ताकतवर बना दिया है। अब Fraud केवल तकनीकी नहीं, बल्कि मानसिक खेल बन चुका है।
वित्तीय सिस्टम पर मंडरा रहा बड़ा संकट
AI के इस्तेमाल से बैंक फ्रॉड अब बेहद सूक्ष्म और तकनीकी रूप ले चुका है। साइबर ठग बैंक ग्राहक की आवाज की नकल कर कॉल करते हैं, निजी जानकारी हासिल करते हैं और फिर उसके आधार पर खाता खाली कर देते हैं। AI से संचालित बॉट्स अब डेटा चुराने, फेक वेबसाइट बनाने और रीयल-टाइम ट्रांजैक्शन हैक करने में सक्षम हो गए हैं।
क्या है समाधान?
सैम ऑल्टमैन के अनुसार, केवल सख्त कानूनों और मॉनिटरिंग से बात नहीं बनेगी। बैंकों को चाहिए कि वे AI आधारित सुरक्षा उपाय, बिहेवियरल ऑथेंटिकेशन, और रियल-टाइम फ्रॉड डिटेक्शन जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाएं। इसके अलावा ग्राहकों को भी जागरूक करना होगा कि वे किस तरह की कॉल्स, ईमेल या मैसेज से बचें और अपनी निजी जानकारी कभी साझा न करें।