खतरे में प्राइवेसी! कोई भी देख सकता हैं आपका डाटा और लोकेशन… जरूर पढ़ें

Proxy Earth वेबसाइट पर सिर्फ मोबाइल नंबर डालने से यूज़र्स की निजी जानकारी और लोकेशन सामने आ जाती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वेबसाइट भारत के टेलीकॉम सिस्टम की कमजोरियों का फायदा उठाती है। साइबर एक्सपर्ट इसे भारतीय यूजर्स की सुरक्षा और प्राइवेसी के लिए बड़ा खतरा बता रहे हैं।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 5 December 2025, 5:36 PM IST
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New Delhi: साइबर अपराधियों की चालें लगातार तेज होती जा रही हैं। अब एक ऐसी वेबसाइट सामने आई है, जिसने मोबाइल चलाने वालों की टेंशन बढ़ा दी हैं। इस वेबसाइट में सिर्फ मोबाइल नंबर डालने पर किसी भी यूजर की निजी जानकारी, लोकेशन और लाइव मूवमेंट तक ट्रैक कर लेती है। ProxyEarth नाम की इस वेबसाइट को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं। इस घटना के बाद एक बार फिर यह साफ हो गया है कि भारत में डेटा सुरक्षा कानून और यूजर की प्राइवेसी को लेकर अभी भी काफी काम किया जाना बाकी है। खासकर तब जब इंटरनेट पर पहले से ही करोड़ों लोगों का पुराना डेटा लीक्ड रूप में मौजूद है।

Proxy Earth नाम की वेबसाइट

डिजिटल दुनिया में साइबर अपराधी अब नई-नई तरकीबों से लोगों को निशाना बना रहे हैं। पहले बैंक फ्रॉड और फर्जी कॉल आम थे लेकिन अब एक वेबसाइट लोगों की प्राइवेसी के लिए बड़ा खतरा बन गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ProxyEarth नाम की वेबसाइट सिर्फ आपके मोबाइल नंबर के आधार पर आपकी निजी जानकारियां दिखा देती है। इसमें आपका नाम, आपके पिता का नाम, मोबाइल नंबर, ई-मेल आईडी, पुरानी लोकेशन और कई मामलों में आपकी लाइव लोकेशन तक सामने आ जाती है।

कैसे करती है काम?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंटरनेट पर इस वेबसाइट के स्क्रीनशॉट वायरल हो रहे हैं। जिनमें साफ दिख रहा है कि किसी भी यूजर की लोकेशन और निजी जानकारी कुछ ही सेकंड में वेबसाइट पर लोड हो जाती है। ProxyEarth भारत के टेलीकॉम सिस्टम में मौजूद कमियों का फायदा उठाती है। यह वेबसाइट टावर ट्रायंगुलेशन डेटा का इस्तेमाल करके यूजर की मूवमेंट ट्रैक करती है। यानी किसी मोबाइल नंबर के नजदीकी टावर कहा हैं, फोन किस टावर से जुड़ रहा है, सिग्नल किस दिशा में जा रहा है।

इन सबके आधार पर वेबसाइट यूजर की लगभग सही लोकेशन निकाल लेती है। साथ ही यह वेबसाइट उन दस्तावेजों का डेटा भी जुटा लेती है। यह केवल किसी टेलीकॉम कंपनी को सिम कार्ड खरीदते समय दिए जाते हैं। यानी आपका नाम, जन्म की तारीख, पता, दूसरा नंबर और कई बार ई-मेल ये सब जानकारी इंटरनेट पर मौजूद पुराने लीक्ड डेटा से मिलाकर सिस्टम के सामने ला देती है। यही वजह है कि साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट इसे खतरनाक वेबसाइट बता रहे हैं।

पहले भी लगे हैं डेटा लीक के आरोप

ProxyEarth पर पहले भी यह आरोप लग चुके हैं कि यह भारतीय यूजर्स का डेटा लीक कर रही है, लेकिन इस बार मामला और गंभीर इसलिए है क्योंकि वेबसाइट लाइव लोकेशन भी शो कर रही है। अगर कोई व्यक्ति नंबर डालकर किसी यूजर की हर मूवमेंट ट्रैक कर ले, तो यह न सिर्फ उसकी सुरक्षा बल्कि उसकी निजता के अधिकार पर सीधा हमला है। साइबर एक्सपर्ट्स ने बताया कि अगर किसी भी व्यक्ति की यह जानकारी गलत हाथों में चली जाए तो उसका इस्तेमाल स्टॉकिंग, धमकी, पैसों की उगाही, किडनैपिंग या पहचान चोरी जैसे अपराधों में किया जा सकता है।

कौन है ProxyEarth का क्रिएटर?

रिपोर्ट के अनुसार, ProxyEarth को बनाने वाला राकेश खुद को प्रोग्रामर और वीडियो एडिटर बताता है। उसके बारे में यह भी कहा गया है कि वह पायरेटेड कंटेंट बेचने वाली कुछ वेबसाइटें भी चला रहा है। राकेश ने दावा किया है कि वह कोई गलत काम नहीं कर रहा, क्योंकि वह वही डेटा दिखा रहा है जो पहले से ही इंटरनेट पर मौजूद है और पुराने डेटा लीक के जरिए पब्लिक हो चुका है। उसकी वेबसाइट सिर्फ एक प्लेटफॉर्म है।

यह विज्ञापन और ट्रैफिक के जरिए चल रही है। लेकिन सवाल ये है कि क्या किसी यूजर की निजी जानकारी को इस तरह सार्वजनिक दिखाना कानूनी है? क्या यह किसी की सुरक्षा को खतरे में नहीं डालता? वेबसाइट करीब एक सप्ताह से लाइव है और अब भी इंटरनेट पर मौजूद है। इसे लेकर साइबर सुरक्षा एजेंसियों में चिंता बढ़ गई है, क्योंकि लाखों भारतीय यूजर्स का डेटा खतरे में पड़ सकता है।

कैसे बचें इस तरह की वेबसाइटों से?

कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि यह वेबसाइट हर नंबर का सही डेटा नहीं दिखाती। लेकिन समस्या यही है अगर एक भी यूजर की जानकारी सही आ जाए, तो यह देश की साइबर सुरक्षा पर बड़ा सवाल है। भारतीय कानून में किसी की निजी जानकारी सार्वजनिक करने को अपराध माना जाता है। साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक किसी भी अनजान वेबसाइट पर मोबाइल नंबर न डालें।

सोशल मीडिया पर अपना नंबर पब्लिक न रखें। बैंक या टेलीकॉम डॉक्युमेंट्स की फोटो इंटरनेट पर अपलोड न करें। किसी भी संदिग्ध लिंक को न खोलें। फोन में मजबूत पासवर्ड और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का प्रयोग करें। साथ ही सरकार और साइबर एजेंसियों को भी ऐसी वेबसाइटों पर तुरंत एक्शन लेना चाहिए, क्योंकि यह न सिर्फ लोगों की निजता बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा साबित हो सकती हैं।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 5 December 2025, 5:36 PM IST