Chess World Cup: चैंपियन बनने के बाद मां को गले लगाकर खूब रोईं दिव्या, VIDEO में देखें जीत के पल

फाइनल में कोनेरू हम्पी और दिव्या के बीच शानदार मुकाबला देखने को मिला। हम्पी ने शुरुआती क्लासिकल गेम में कोई बड़ी चूक नहीं की, लेकिन रैपिड टाईब्रेकर में उनकी एक बड़ी गलती ने दिव्या को निर्णायक बढ़त दिलाई। जीत के बाद दिव्या काफी इमोशनल हो गईं और अपनी मां को गले लगाकर रोने लगीं।

Post Published By: Mrinal Pathak
Updated : 28 July 2025, 5:22 PM IST
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New Delhi: नागपुर की 19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने इतिहास रचते हुए फिडे महिला शतरंज विश्व कप 2025 का खिताब जीत लिया। उन्होंने 38 वर्षीय अनुभवी ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी को फाइनल में हराकर पहली भारतीय महिला विश्व कप विजेता बनने का गौरव पाया। यह टूर्नामेंट का पहला ऐसा फाइनल था जिसमें दो भारतीय खिलाड़ियों ने आमने-सामने मुकाबला किया।

मां को गलेकर लगाकर राईं दिव्या

जॉर्जिया के बटुमी में खेले गए फाइनल में दिव्या देशमुख और कोनेरू हम्पी के बीच कड़ा मुकाबला देखने मिला। पहली दो क्लासिकल बाजियां ड्रॉ पर समाप्त हुईं, जिससे मैच टाईब्रेकर तक गया। सोमवार को हुए रैपिड टाईब्रेकर के पहले गेम में दोनों ने ड्रॉ खेला, लेकिन दूसरे गेम में दिव्या ने काले मोहरों से हम्पी को मात दी। इस निर्णायक जीत के बाद दिव्या भावुक हो उठीं और अपनी मां को गले लगाकर खुशी जाहिर की।

हम्पी की गलती ने दिलाई दिव्या को जीत

फाइनल में कोनेरू हम्पी और दिव्या के बीच शानदार मुकाबला देखने को मिला। हम्पी ने शुरुआती क्लासिकल गेम में कोई बड़ी चूक नहीं की, लेकिन रैपिड टाईब्रेकर में उनकी एक बड़ी गलती ने दिव्या को निर्णायक बढ़त दिलाई। जब आखिरी कुछ सेकंड बचे थे, हम्पी ने हार मान ली और दिव्या ने मैच अपने नाम कर लिया। लाइव मैच के दौरान पूर्व विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने भी हम्पी की इस गलती की बात कही।

दिव्या बनीं ग्रैंडमास्टर

इस जीत के साथ दिव्या ने इंटरनेशनल मास्टर का खिताब छोड़कर ग्रैंडमास्टर का पद हासिल कर लिया है। साथ ही, उन्होंने अगले साल होने वाले प्रतिष्ठित कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है, जहां विजेता को विश्व चैंपियन से मुकाबला करने का मौका मिलेगा। दिव्या ग्रैंडमास्टर बनने वाली भारत की चौथी महिला और कुल मिलाकर 88वीं खिलाड़ी बन गई हैं।

भारत के शतरंज भविष्य की चमक

मैच के बाद दिव्या ने कहा, “मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है। मुझे इस जीत से तालमेल बिठाने में थोड़ा समय लगेगा। मेरे लिए यह शुरुआत मात्र है और अभी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है।” उनकी इस जीत ने भारत में शतरंज के भविष्य को और मजबूत किया है। दिव्या की सफलता ने साबित कर दिया है कि भारतीय महिला शतरंज का भविष्य उज्ज्वल है।

देश को हो रहा गर्व

दिव्या के परिवार के सदस्यों ने जीत के बाद उन्हें गले लगाया और सभी की आंखें खुशी के आंसुओं से भर गईं। दिव्या देशमुख ने अपनी मेहनत और लगन से न सिर्फ खिताब जीता बल्कि पूरे देश को गर्व महसूस कराया।

 

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