

लोकसभा के मानसून सत्र में आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने सरकार के सामने सेना और सुरक्षा से जुड़े गंभीर मुद्दे उठाए। उन्होंने चमार रेजिमेंट की बहाली, गुर्जर-यादव रेजिमेंट के गठन और सैनिकों की सैलरी करमुक्त करने की मांग की। साथ ही ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार की कूटनीति और खुफिया तंत्र पर भी तीखे सवाल दागे।
संसद में गरजे चंद्रशेखर आजाद
New Delhi: उत्तर प्रदेश के नगीना लोकसभा क्षेत्र से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने संसद के मानसून सत्र में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान सरकार के सामने कई महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे उठाए। आजाद समाज पार्टी के इस युवा नेता ने भारत की सैन्य व्यवस्था, आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक न्याय से जुड़े सवालों को बड़े ठोस और तेवर भरे अंदाज में उठाया।
चमार रेजिमेंट की बहाली की मांग
सांसद चंद्रशेखर ने केंद्र सरकार से 'चमार रेजिमेंट' को दोबारा बहाल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह रेजिमेंट भारत की सैन्य परंपरा का हिस्सा रही है और दलित-पिछड़े वर्गों में देशभक्ति का जोश किसी से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि देश का किसान और कमेरा वर्ग बेहद देशभक्त है। अगर इनको सेना में उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा तो पाकिस्तान तो क्या, चीन भी हमारी तरफ आंख उठाने की हिम्मत नहीं करेगा। इसके साथ ही उन्होंने गुर्जर और यादव रेजिमेंट के गठन की भी वकालत की, जिससे सेना में सामाजिक समावेशिता को बढ़ावा मिल सके।
सैनिकों की सैलरी को करमुक्त करने की मांग
आजाद ने संसद में यह भी कहा कि सेना और अर्धसैनिक बलों में काम करने वाले जवानों की सैलरी को पूरी तरह से टैक्स फ्री किया जाना चाहिए। जो जवान सीमाओं पर तैनात हैं, अपनी जान जोखिम में डालते हैं, उनके वेतन पर टैक्स क्यों लगाया जाता है? यह उनके सम्मान और बलिदान का अपमान है।
ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार की रणनीति पर उठाए सवाल
चर्चा के दौरान सांसद ने सरकार की विदेश नीति और खुफिया तंत्र की विफलताओं को भी निशाने पर लिया। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार यह मानती है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुई घटनाएं भारत की कूटनीतिक विफलता हैं? उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले को खुफिया तंत्र की नाकामी बताया और पूछा कि इस असफलता की जिम्मेदारी किसकी है और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए क्या रणनीति तैयार की गई है?
सेना के साथ भेदभाव और सुविधाओं की कमी पर सवाल
सांसद ने यह भी आरोप लगाया कि अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा ड्यूटी में लगे सेना के जवानों को खस्ताहाल ट्रेन में भेजा गया था, जिसके कारण उन्होंने यात्रा से मना कर दिया। चार दिन बाद ही उन्हें नई ट्रेन दी गई। उन्होंने कहा कि एक तरफ हम जवानों के सम्मान की बात करते हैं और दूसरी तरफ उन्हें ऐसी सुविधाएं दी जाती हैं जो अपमानजनक हैं।
कर्नल सोफिया कुरैशी पर बयान का किया विरोध
चंद्रशेखर आजाद ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर बीजेपी नेता की कथित आपत्तिजनक टिप्पणी का भी जिक्र किया और कहा कि यह देखना होगा कि सरकार और सत्ता पक्ष की भाषा कैसी है। महिला अधिकारियों के खिलाफ ऐसी टिप्पणियां सेना की गरिमा के खिलाफ हैं।
पाकिस्तान को लेकर चिंता जताई
आजाद ने यह सवाल भी उठाया कि क्या टीआरएफ (The Resistance Front) द्वारा हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाना भारत में सांप्रदायिक द्वेष को भड़काने की साजिश है? और क्या सरकार ने इस खतरे को रोकने के लिए कोई रणनीति बनाई है? साथ ही पाकिस्तान को आईएमएफ द्वारा आर्थिक मदद मिलने के सवाल पर उन्होंने पूछा कि क्या भारत सरकार ने वैश्विक मंचों पर इस पर विरोध दर्ज कराया?