

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में बादल फटने से आई तबाही में अपने परिवार को खो चुकी 10 महीने की मासूम नीतिका को अब राज्य सरकार ने ‘चाइल्ड ऑफ द स्टेट’ घोषित किया है। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत नीतिका के पालन-पोषण से लेकर शिक्षा तक का सारा खर्च अब सरकार उठाएगी। यह फैसला उस बच्ची के लिए नई उम्मीद बनकर सामने आया है, जिसने प्रकृति की भयावहता के बीच खुद को बचा तो लिया, लेकिन अपनों को खो बैठी।
हिमाचल सरकार बनी नीतिका का सहारा
Shimla News: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के तलवाड़ा गांव में बीते दिनों अचानक बादल फटने से भयंकर बाढ़ आ गई। इस त्रासदी में कई घर तबाह हो गए, जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया और कई लोगों की जान चली गई। इसी घटना में 10 महीने की मासूम नीतिका ने अपने सामने अपने पिता, मां और दादी को सैलाब में बहते देखा, लेकिन खुद चमत्कारी रूप से मलबे से सुरक्षित बाहर निकाल ली गई।
कौन है नीतिका और कैसे हुआ परिवार का अंत
नीतिका के पिता रमेश (31 वर्ष) अपने घर में घुसते पानी को रोकने के लिए बाहर निकले थे। उनकी पत्नी राधा देवी (24) और मां पूर्णु देवी (59) भी मदद के लिए उनके पीछे चली गईं, लेकिन तीनों ही तेज बहाव की चपेट में आ गए और जान गंवा बैठे। बाढ़ के मलबे से नीतिका को जीवित निकालना किसी चमत्कार से कम नहीं था। गांव में इस घटना को याद कर लोग आज भी सिहर उठते हैं।
राज्य सरकार ने लिया ऐतिहासिक फैसला
इस त्रासदी के बाद, हिमाचल प्रदेश सरकार ने नीतिका को ‘चाइल्ड ऑफ द स्टेट’ घोषित किया है। इसका अर्थ है कि अब सरकार खुद उसकी देखरेख, शिक्षा, पालन-पोषण और भविष्य की जिम्मेदारी उठाएगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सुख-आश्रय योजना के तहत यह निर्णय लिया गया है। यह योजना 2023 में शुरू की गई थी, जिसका मकसद है ऐसे बच्चों की मदद करना जिन्होंने प्राकृतिक आपदा या अन्य कारणों से अपने अभिभावकों को खो दिया है।
अनाथ बच्चों की सुरक्षा कवच
मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत नीतिका को सिर्फ शिक्षा ही नहीं, बल्कि आवास, स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा, यहां तक कि नौकरी तक की व्यवस्था भी सरकार द्वारा सुनिश्चित की जाएगी। राज्य सरकार ने कहा है कि नीतिका को हर वो सुविधा दी जाएगी जो एक सामान्य बच्चे को परिवार से मिलती है।
समाज और सरकार की संयुक्त जिम्मेदारी
नीतिका की कहानी एक प्राकृतिक आपदा के बीच इंसानियत और संवेदनशील प्रशासन की मिसाल है। जहां एक ओर प्रकृति ने उससे उसके अपने छीन लिए, वहीं सरकार ने मां-बाप का साया देने की कोशिश की है। इस तरह की योजनाएं यह साबित करती हैं कि समाज और सरकार जब साथ आते हैं तो किसी भी अनहोनी से लड़ने की ताकत मिलती है।