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दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के चलते खराब हुई वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए साल भर निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध जैसे कठोर कदम उठाने के पक्ष में नहीं है। हालांकि पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वह ‘पर्यावरण एवं वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और दिल्ली के मुख्य सचिव से दीर्घकालिक समाधानों पर विचार करने को कहें।
प्रतीकात्मक छवि
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट किया कि दिल्ली NCR में प्रदूषण के चलते खराब हुई वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए साल भर निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध जैसे कठोर कदम उठाने के पक्ष में नहीं है। शीर्ष अदालत ने ‘वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक समाधान' की वकालत करते हुए कहा है कि निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने जैसे कठोर आदेश के दूरगामी परिणाम होंगे और इससे लाखों लोगों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और एन वी अंजारिया की पीठ ने इसके साथ ही, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) तहत निर्माण सहित सभी प्रतिबंधित सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने से इनकार दिया।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए आपातकालीन उपायों का एक समूह है। हालांकि, पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वह ‘पर्यावरण एवं वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और दिल्ली के मुख्य सचिव से दीर्घकालिक समाधानों पर विचार करने को कहें। उन्होंने कहा कि आप हमें कुछ सुझाव दे सकते हैं, लेकिन ये सुझाव दो दिन, एक सप्ताह, तीन सप्ताह आदि के नहीं हो सकते। पीठ ने कहा कि हमें इस समस्या का एक दीर्घकालिक समाधान निकालना होगा ताकि कम से कम धीरे-धीरे, हर साल यह समस्या कम होती जाए।
शीर्ष अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भाटी को इस मामले में 19 नवंबर तक समस्या का समाधान के लिए उपाय बताते के लिए कहा है ताकि इससे निपटने के लिए दिशा-निर्देश जारी हो सके। मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि ‘न सिर्फ हमारा बल्कि मामले में नियुक्त न्यायमित्र और केंद्र सरकार की एएसजी भाटी भी इस बात से सहमत हैं कि इस मुद्दे को अस्थायी समाधान के रूप में नहीं देखा जा सकता है और एक दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है।
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मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि राजधानी में आबादी का एक बड़ा हिस्सा अपनी आजीविका के लिए विभिन्न गतिविधियों पर निर्भर है, हम न्यायमित्र और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से सहमत हैं कि प्रदूषण की समस्या से क्रमबद्ध तरीके से निपटने के लिए एक दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है। इसके लिए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEFCC) के साथ-साथ पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के अधिकारियों द्वारा एक संयुक्त कार्रवाई की आवश्यकता है।