

पंजाबी लोक संगीत के प्रसिद्ध गायक गुरमीत मान का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। कुछ दिन पहले ही स्टार सिंगर राजवीर जवंदा की मौत से उबर रही इंडस्ट्री को यह दूसरा बड़ा झटका है। गुरमीत मान अपनी दमदार आवाज और लोकगीतों के लिए जाने जाते थे।
सिंगर गुरमीत मान की मौत
Chandigarh: पंजाबी संगीत जगत इस समय गहरे शोक में है। कुछ ही दिनों में दो प्रतिभाशाली कलाकारों की मौत से इंडस्ट्री सदमे में है। युवा गायक राजवीर जवंदा के निधन के बाद अब लोक गायक गुरमीत मान के जाने की खबर ने हर किसी को दुखी कर दिया है। पंजाब की लोक संस्कृति से जुड़े उनके गीतों ने उन्हें एक खास पहचान दिलाई थी।
गुरमीत मान केवल गायक ही नहीं बल्कि एक संपूर्ण कलाकार थे। संगीत की दुनिया में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। उनकी दमदार आवाज और पारंपरिक अंदाज़ ने उन्हें पंजाबी लोक संगीत के अग्रणी गायकों में शामिल किया।
इसके अलावा उन्होंने पंजाब पुलिस में अधिकारी के रूप में भी सेवा दी। कला के क्षेत्र में उनकी बहुमुखी प्रतिभा झलकती थी वे गायन के साथ-साथ अभिनय और कॉमेडी में भी निपुण थे। उनके लोकप्रिय गीत जैसे ‘बोलियां’, ‘बोली मैं पवन’ और ‘काके दियां पुरहियां’ आज भी श्रोताओं के बीच बेहद पसंद किए जाते हैं।
परिवार के मुताबिक, गुरमीत मान का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ। उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव हरदोवाल (जिला गुरदासपुर) में किया गया। मूल रूप से वहीं के निवासी होने के बावजूद वे रोपड़ की गिल्को कॉलोनी में रहते थे। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। उनके चाहने वाले, रिश्तेदार और संगीत प्रेमी बड़ी संख्या में अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे।
यह पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री के लिए एक और बड़ा आघात है। अभी कुछ दिन पहले ही 8 अक्टूबर 2025 को युवा गायक राजवीर जवंदा का सड़क हादसे के बाद निधन हुआ था। लगातार दो कलाकारों के जाने से इंडस्ट्री में गम का माहौल है। फैंस और साथी कलाकार सोशल मीडिया पर लगातार गुरमीत मान को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। कई कलाकारों ने पोस्ट कर कहा कि गुरमीत मान जैसे कलाकार सदियों में एक बार जन्म लेते हैं, और उनका जाना पंजाब के संगीत के लिए अपूरणीय क्षति है।
पंजाबी सिंगर राजवीर जवंदा का पैतृक गांव में आज अंतिम संस्कार, इंडस्ट्री में छाया शोक
गुरमीत मान ने पंजाबी लोक संगीत को आधुनिक युग में नई पहचान दिलाई। उन्होंने परंपरा और आधुनिकता का खूबसूरत मेल अपने गीतों में पिरोया था। उनकी आवाज़ में पंजाब की मिट्टी की खुशबू थी, जो हर वर्ग के श्रोता को जोड़ती थी। उनके निधन से न सिर्फ एक कलाकार बल्कि लोक संस्कृति का एक मजबूत स्तंभ खो गया है।