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बांग्लादेश की राजनीति में भूचाल लाने वाला बड़ा फैसला सोमवार को सामने आया, जब ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई। पढ़ें पूरी रिपोर्ट
शेख हसीना पर कोर्ट का फैसला (फोटो सोर्स गूगल)
New Delhi: बांग्लादेश की राजनीति में भूचाल लाने वाला बड़ा फैसला सोमवार को सामने आया, जब ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई। कोर्ट ने 2024 में हुए छात्र आंदोलन और तख्तापलट के दौरान हुए हत्याकांडों की मास्टरमाइंड हसीना को बताया।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि हसीना ने न सिर्फ हिंसा को बढ़ावा दिया बल्कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घातक कार्रवाई का आदेश भी दिया।
अदालत ने शेख हसीना को हत्या के लिए उकसाने और हत्या का आदेश देने—दो अलग-अलग आरोपों में मौत की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान को 12 लोगों की हत्या का दोषी पाते हुए फांसी की सजा दी है। मामले के तीसरे आरोपी और पूर्व IGP अब्दुल्ला अल-ममून सरकारी गवाह बन चुके हैं। इसलिए कोर्ट ने उन्हें 5 साल कैद की सजा सुनाई।
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अदालत ने शेख हसीना और पूर्व गृहमंत्री कमाल की बांग्लादेश में मौजूद सभी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने बताया कि दोनों आरोपी पिछले 15 महीने से भारत में रह रहे हैं और फरार घोषित किए जा चुके हैं।
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— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) November 17, 2025
चार्जशीट के अनुसार, हसीना ने पुलिस और अवामी लीग के हथियारबंद समर्थकों को छात्रों व नागरिकों पर हमला करने के लिए उकसाया। उन्होंने हिंसा न रोककर अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफलता दिखाई।
अदालत ने पाया कि हसीना ने प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए ड्रोन और हेलिकॉप्टर जैसे घातक साधनों के उपयोग का आदेश दिया।
16 जुलाई को बेगम रौकेया यूनिवर्सिटी के छात्र अबू सैयद की हत्या को लेकर अदालत ने कहा कि यह हत्या हसीना व उनके सहयोगियों की साजिश और आदेश का परिणाम थी।
5 अगस्त को ढाका के चांखारपुल में छह निहत्थे प्रदर्शनकारियों की हत्या हुई, जिसे कोर्ट ने हसीना के सीधे आदेश और उकसावे का नतीजा बताया।
पांच प्रदर्शनकारियों को गोली मारकर हत्या किए जाने और एक को जिंदा जलाने का आरोप भी सिद्ध हुआ। अदालत ने कहा कि शवों को जलाकर अपराध को छिपाने की कोशिश की गई।
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यह फैसला बांग्लादेश के इतिहास में सबसे बड़ी कानूनी कार्रवाइयों में से एक माना जा रहा है। शेख हसीना पर लगे आरोप और दी गई सजा आने वाले समय में बांग्लादेश की राजनीति व अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।