

वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों नहीं, दिल की सेहत के लिए भी जानलेवा साबित हो रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2019 में 90 लाख लोगों की मौत प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों से हुई, जिनमें से ज्यादातर हार्ट अटैक और स्ट्रोक के शिकार थे। भारत में बिगड़ती वायु गुणवत्ता हृदय रोगों के मामलों में भारी इजाफा कर रही है।
प्रदूषण फेफड़ों नहीं, दिल के लिए भी जानलेवा
New Delhi: दिल्ली, लखनऊ, पटना और कानपुर जैसे शहरों में जब सर्दियों की सुबहें धुंध और धुएं की चादर ओढ़े होती हैं, तो लोग मानते हैं कि इससे केवल फेफड़ों पर असर होता है। लेकिन अब वैज्ञानिक रिपोर्ट्स और मेडिकल एक्सपर्ट्स यह साफ कर चुके हैं कि वायु प्रदूषण का सीधा संबंध हृदय संबंधी बीमारियों से भी है। यह न केवल हार्ट अटैक, स्ट्रोक और ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं को जन्म देता है, बल्कि इनके गंभीर परिणाम भी देखने को मिलते हैं।
New England Journal of Medicine (NEJM) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, हवा में मौजूद सूक्ष्म कण जैसे PM2.5 और PM10, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओजोन जैसी हानिकारक गैसें सांस के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम तक पहुंच जाती हैं। ये कण शरीर की कोशिकाओं में असंतुलन पैदा करते हैं, जिससे सूजन (Inflammation) और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (Oxidative Stress) बढ़ जाता है।
इसके चलते खून की नलियों (आर्टरीज) की दीवारें कमजोर पड़ने लगती हैं और उनमें ब्लॉकेज की संभावना बढ़ जाती है। इसका सीधा असर दिल की सेहत पर पड़ता है- ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, खून के थक्के बनने लगते हैं, जिससे हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं।
बिगड़ती वायु गुणवत्ता
American Heart Association (AHA) की रिपोर्ट और NEJM की रिसर्च में बताया गया है कि वायु प्रदूषण के कारण शरीर को कई तरह की हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा होता है:
हार्ट अटैक (Heart Attack)
स्ट्रोक (Stroke)
हार्ट फेल्योर (Heart Failure)
अनियमित धड़कन (Arrhythmia)
हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension)
ये सभी बीमारियां न केवल गंभीर हैं, बल्कि इनमें समय पर इलाज न होने पर जान जाने का खतरा भी बढ़ जाता है।
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The Lancet Commission on Pollution and Health की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 में दुनियाभर में 9 मिलियन (यानी 90 लाख) लोगों की मौत प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के चलते हुई। इनमें से 62% लोगों की मौत हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण हुई। यह आंकड़े यह साबित करने के लिए काफी हैं कि प्रदूषण केवल सांस की समस्या नहीं, बल्कि हृदय के लिए भी जानलेवा है।
भारत में बिगड़ते हालात
भारत उन देशों में शामिल है जहां वायु प्रदूषण सबसे तेजी से बढ़ रहा है। WHO के आंकड़ों के मुताबिक, देश के कई प्रमुख शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। खासकर उत्तर भारत में सर्दियों के दौरान पराली जलाने, वाहनों का धुआं, निर्माण कार्य और उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषक तत्वों के कारण हालात और भी बिगड़ जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि वायु प्रदूषण भारत में तेजी से बढ़ती दिल की बीमारियों का एक मुख्य कारण बनता जा रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, अब 30-40 साल की उम्र के युवा भी दिल के रोगों का शिकार हो रहे हैं, जो पहले बुजुर्गों तक सीमित माने जाते थे।
बचाव ही है समाधान
हालांकि इस स्थिति का एकमात्र समाधान हवा को साफ रखना है, लेकिन जब तक ऐसा संभव नहीं हो पाता, कुछ सावधानियों के जरिए जोखिम को कम किया जा सकता है:
प्रदूषण ज्यादा होने पर मास्क पहनें
बाहर व्यायाम या दौड़ लगाने से बचें
घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें
धूम्रपान से दूर रहें, क्योंकि यह रिस्क को और बढ़ाता है
दिल की नियमित जांच कराएं और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं
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वायु प्रदूषण अब केवल एक पर्यावरणीय समस्या नहीं रह गया है, यह एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है, जो हमारे दिल पर सीधा हमला कर रहा है। जागरूकता और सतर्कता ही इससे बचने का रास्ता है। अब वक्त आ गया है जब हम सांस लेने से पहले यह सोचें कि क्या हमारी हवा वाकई में हमारे लिए सुरक्षित है?
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है, इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें। किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।