उत्तराखंड को मिला पहला “लिक्विड ट्री”, ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी की छात्रा ऋतिका बगौली का अभिनव प्रयास

उत्तराखंड को मिला पहला “लिक्विड ट्री”, ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी की छात्रा ऋतिका बगौली का अभिनव प्रयास। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Rohit Goyal
Updated : 6 June 2025, 7:30 PM IST
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देहरादून: विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी, देहरादून में एक बड़ी नवाचारात्मक उपलब्धि सामने आई है। विश्वविद्यालय की छात्रा/शोधार्थी ऋतिका बगौली ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अभिनव कदम उठाते हुए "लिक्विड ट्री" विकसित किया है। इसे उत्तराखंड का पहला लिक्विड ट्री माना जा रहा है, जिसे 5 जून को विश्वविद्यालय परिसर में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया।

लिक्विड ट्री एक जैविक सोलर पावर्ड एयर प्यूरिफायर है, जो इंडोर और आउटडोर दोनों प्रकार की वायु को शुद्ध करने में सक्षम है। इसकी विशेषता यह है कि यह पारंपरिक पेड़ों की तुलना में 10 से 20 गुना अधिक कार्बन डाईऑक्साइड अवशोषित कर सकता है। ऋतिका ने इसे पहले आईआईटीसीबीटी देहरादून परिसर में पायलट प्रोटोटाइप के रूप में स्थापित किया था, जहां इसके प्रभावी परिणाम देखे गए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इस नवाचार को विशेष रूप से शहरी प्रदूषण को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। इसमें तकनीक और जनसुविधाओं का अनूठा संयोजन है। लिक्विड ट्री में बैठने की व्यवस्था, मोबाइल चार्जिंग सुविधा और स्मार्ट स्ट्रीट लाइट जैसी आधुनिक सुविधाएं भी शामिल हैं, जो इसे आम नागरिकों के लिए उपयोगी और आकर्षक बनाती हैं।

ऋतिका का उद्देश्य इस तकनीक को और अधिक सस्ता और सरल बनाना है, ताकि इसे पूरे भारत में लागू किया जा सके। यह परियोजना न केवल पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में एक मजबूत कदम है, बल्कि यह स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन की रोकथाम (SDG Goal 13) में भी योगदान देने वाला प्रयास है।

इस उपलब्धि पर ऋतिका ने अपने मार्गदर्शक डॉ. भावना, डॉ. हरीशचंद्र जोशी, रसायन विभाग प्रमुख डॉ. अजीत मिश्रा, विश्वविद्यालय अध्यक्ष डॉ. कमल घनसाला, कुलपति डॉ. नरपिंदर सिंह, अपने परिवार और साथियों का विशेष आभार व्यक्त किया।

निष्कर्षतः, ऋतिका बगौली का यह नवाचार न केवल पर्यावरणीय समाधान है, बल्कि यह तकनीक, स्वच्छ ऊर्जा और जन-कल्याण को एक साथ जोड़ने वाला सामाजिक हित का स्मार्ट मॉडल बन गया है। यह भविष्य में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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