नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का आदेश: कहा- तुमने किसानों को अधिक मुआवजा क्यों दिया? गिरेगी कई अफसरों पर गाज

नोएडा में किसानों को जमीन के अधिक मुआवजे देने के घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए नई SIT गठित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों और जमीन मालिकों की मिलीभगत से सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ है। साथ ही कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी में पारदर्शिता बढ़ाने और संस्थागत सुधार के लिए कई अहम निर्देश भी जारी किए हैं, जिसमें चीफ विजिलेंस ऑफिसर की नियुक्ति और सिटीजन एडवाइजरी बोर्ड का गठन शामिल है।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 13 August 2025, 2:03 PM IST
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Noida News: नोएडा में भूमि अधिग्रहण और किसानों को अत्यधिक मुआवजा देने के नाम पर हुए कथित भ्रष्टाचार पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने इस मामले में नए सिरे से जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया है। यह आदेश जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने उस रिपोर्ट के आधार पर दिया, जो पहले गठित SIT द्वारा सौंपी गई थी। रिपोर्ट में नोएडा अथॉरिटी के कुछ अधिकारियों और जमीन मालिकों के बीच मिलीभगत की बात सामने आई थी। जिससे सरकार को कई करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

कैसे खुलासा हुआ

यह मामला 24 जनवरी 2024 से जुड़ा है, जब सुप्रीम कोर्ट को एक याचिका के माध्यम से बताया गया कि नोएडा अथॉरिटी के दो वरिष्ठ विधिक अधिकारी (दिनेश कुमार सिंह और वीरेंद्र सिंह) ने एक भूमि अधिग्रहण के मामले में 22 साल बाद भी एक मालिक को 7 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुआवजा दिलवाया। जबकि उसे पहले ही मुआवजा दिया जा चुका था। शुरुआती जांच में सामने आया कि दोनों अधिकारियों की संलिप्तता से सरकारी खजाने को करीब 12 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पहले एक SIT गठित की थी। अब उस टीम की रिपोर्ट के आधार पर नई और व्यापक जांच टीम के गठन का आदेश दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के अहम आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और जवाबदेही तय करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। DGP स्तर के अधिकारी द्वारा तीन IPS अधिकारियों की नई SIT गठित की जाए। SIT तत्काल प्राथमिक जांच शुरू करे। जरूरत पड़ने पर फॉरेंसिक विशेषज्ञों और आर्थिक अपराध शाखा की सहायता ली जाए। अगर जांच में संज्ञेय अपराध (cognizable offence) की पुष्टि होती है तो SIT आपराधिक केस दर्ज करे। SIT के प्रमुख एक कमिश्नर रैंक के अधिकारी होंगे, जो सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेंगे। अगर किसी अधिकारी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस चलाने के लिए अनुमति की जरूरत हो तो संबंधित उच्च अधिकारी को SIT के अनुरोध पर दो सप्ताह के भीतर निर्णय लेना होगा।

SIT की रिपोर्ट कितने दिनों में पेश होगी

पहले गठित SIT की रिपोर्ट यूपी के मुख्य सचिव को सौंपी जाए, जो इसे राज्य कैबिनेट के समक्ष रखेंगे और नोएडा अथॉरिटी में सुधार के लिए ठोस कदम उठाएंगे। नोएडा अथॉरिटी में एक चीफ विजिलेंस ऑफिसर नियुक्त किया जाए जो या तो CAG या किसी वरिष्ठ IPS अधिकारी को डेप्युटेशन पर लाकर बनाया जाए। 4 सप्ताह के भीतर नोएडा में “सिटीजन एडवाइजरी बोर्ड” का गठन किया जाए, ताकि नागरिकों की भागीदारी भी सुनिश्चित हो। नोएडा में भविष्य में बनने वाले किसी भी प्रोजेक्ट को पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) और सुप्रीम कोर्ट की पर्यावरण बेंच की मंजूरी के बिना शुरू न किया जाए।

नोएडा अथॉरिटी की कार्यशैली पर गंभीर सवाल

इस पूरे मामले से एक बार फिर नोएडा अथॉरिटी की कार्यप्रणाली, पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जनता के पैसे की लूट को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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  • Noida

Published : 
  • 13 August 2025, 2:03 PM IST