यूपी सरकार देगी एमएलए–एमपी को राहत, इस मामले के सभी केस लेगी वापस; जानें पूरा मामला

यूपी सरकार कोविड लॉकडाउन उल्लंघन के दौरान एमएलए-एमपी पर दर्ज मामलों को वापस लेने जा रही है। दो वर्ष या उससे कम सजा वाले सभी केस रद्द किए जाएंगे। इसके लिए सरकार हाईकोर्ट से अनुमति लेगी और प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 6 December 2025, 9:08 AM IST
google-preferred

Lucknow: उत्तर प्रदेश सरकार कोविड-19 लॉकडाउन अवधि के दौरान विधायकों और सांसदों पर दर्ज किए गए मामलों को वापस लेने की तैयारी में है। महामारी के समय लगाए गए प्रतिबंधों के उल्लंघन से जुड़े ये मामले उस श्रेणी में आते हैं, जिनमें दो वर्ष या उससे कम की सजा का प्रावधान था। सरकार ने पहले ही आम लोगों पर दर्ज 3.5 लाख से ज्यादा केस वापस ले लिए थे और अब जनप्रतिनिधियों को भी राहत देने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है।

लॉकडाउन के दौरान लाखों केस हुए थे दर्ज

2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी के चरम समय पर उत्तर प्रदेश में सख्त लॉकडाउन घोषित किया गया था। इसका पालन सुनिश्चित कराने के लिए पुलिस और प्रशासन की ओर से कड़े निर्देश जारी किए गए। इन प्रतिबंधों का उल्लंघन करने पर प्रदेशभर में साढ़े तीन लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए, जिनमें कई गंभीर और कई सामान्य श्रेणी के मामले शामिल थे।

इंडिगो की उड़ानें रद्द होने से बढ़ी अफरा-तफरी: हवा-यात्रा से टैक्सी तक यात्रियों की जेब पर भारी मार, पढ़ें पूरी खबर

इतने जनप्रतिनिधि थे कार्रवाई के दायरे में

सरकारी सूत्रों के अनुसार, कोविड प्रतिबंधों के उल्लंघन के मामले में करीब 80 से 90 एमएलए और एमपी कार्रवाई के दायरे में आए थे। इनमें कुछ पर लापरवाही से संक्रमण फैलाने, परीक्षण के दौरान अस्पताल छोड़ने, प्रशासनिक आदेशों का पालन न करने, समूह में विरोध प्रदर्शन करने और स्वास्थ्य व सुरक्षा को खतरा पहुंचाने जैसी धाराओं में मामले दर्ज किए गए थे।

कौन-कौन से मामलों में होगी राहत?

• जिनमें अधिकतम दो वर्ष की सजा का प्रावधान है
• जिनमें कोई गंभीर गैर-जमानती धारा शामिल नहीं है
• जिनमें उद्देश्य केवल कोविड गाइडलाइन का उल्लंघन था
• जिनमें प्रशासन अथवा पुलिस के आदेश का सामान्य उल्लंघन किया गया था

सुबह-सुबह महराजगंज में बड़ा सड़क हादसा: एंबुलेंस लोडर ट्रक से भिड़ी, जानें फिर क्या हुआ

हाईकोर्ट से अनुमति होगी अनिवार्य

जहां तक कानूनी प्रक्रिया का सवाल है, सरकार इन केसों को वापस लेने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से अनुमति लेगी। क्योंकि इन मामलों में आरोपी सांसद–विधायक हैं, इसलिए सरकार क़ानूनी मोर्चे पर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती।

जनप्रतिनिधियों के लिए राहत क्यों जरूरी?

सरकारी अधिकारियों का मानना है कि महामारी के दौरान कई बार हालात बेहद जटिल थे। जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्रों में बीमारी रोकथाम, राहत वितरण, प्रवासी मजदूरों की मदद, ऑक्सीजन और दवाओं की व्यवस्था जैसी जिम्मेदारियों में लगे थे। अधिकतर मामलों में गाइडलाइन का उल्लंघन जानबूझकर नहीं, बल्कि परिस्थितिवश हुआ।

Location : 
  • Lucknow

Published : 
  • 6 December 2025, 9:08 AM IST