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सुप्रीम कोर्ट ने इंडिगो एयरलाइंस के उड़ानों में हो रही देरी और रद्दीकरण मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि सरकार इस मामले में सक्रिय रूप से कदम उठा रही है। याचिकाकर्ता ने राहत के लिए मुआवजे और की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने इंडिगो एयरलाइंस द्वारा उड़ानों में हो रही लगातार देरी और रद्द होने के संकट पर दखल देने से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) सूर्यकांत ने यह टिप्पणी की कि चूंकि सरकार इस मामले में सक्रिय रूप से कदम उठा रही है, ऐसे में अदालत को इस समय हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर यह भी कहा कि यदि हालात जस के तस होते, तो अलग बात होती, लेकिन सरकार इसे संभालने के लिए कदम उठा रही है।
हाल के दिनों में इंडिगो एयरलाइंस की उड़ानों में बड़े पैमाने पर रद्दीकरण और देरी देखने को मिली है, जिससे लाखों यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 6 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें इंडिगो द्वारा 2500 उड़ानों के रद्द होने का जिक्र किया गया था। इसके साथ ही, यह भी दावा किया गया था कि इस कारण 95 हवाई अड्डों पर प्रभाव पड़ा है और यात्रियों को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है।
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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने इस मामले में हस्तक्षेप से मना करते हुए कहा कि सरकार खुद इस संकट से निपटने के लिए कदम उठा रही है। कोर्ट का कहना था कि जब तक सरकार इस मामले को देख रही है, तब तक अदालत को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि यदि स्थितियां जस के तस होतीं तो वे इस मुद्दे पर खुद कदम उठातीं।
इंडिगो एयरलाइंस के द्वारा पायलटों के लिए नए एफडीटीएल नियमों की योजना बनाई गई थी, जिसके तहत विमान चालकों की कार्यकुशलता को सुनिश्चित करने के लिए विश्राम की अधिक समय सीमा निर्धारित की गई थी। इन नियमों के तहत, अगर पायलटों की निर्धारित कार्य अवधि पूरी नहीं होती है, तो उड़ानें रद्द की जाती हैं। यह नियम सुरक्षा दृष्टिकोण से बनाया गया था, लेकिन इसके प्रभावस्वरूप बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द हो रही हैं और यात्रियों को प्रभावित कर रहा है।
याचिका में मांग की गई थी कि उड़ानों के रद्द होने पर यात्रियों के लिए वैकल्पिक यात्रा व्यवस्था की जाए। मुआवजे का भुगतान किया जाए, क्योंकि यात्रियों को वित्तीय और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा है। सरकार और एयरलाइन को निर्देशित किया जाए कि वे उड़ानें रद्द करने के बजाय वैकल्पिक उपायों को अपनाएं। याचिकाकर्ता का कहना था कि इंडिगो एयरलाइंस द्वारा किया जा रहा यह व्यवधान मानवीय संकट का कारण बन चुका है और यात्रियों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
6 दिसंबर को याचिकाकर्ता के वकील ने CJI सूर्यकांत के घर पहुंचकर मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की। यह कदम एक आपात स्थिति में अदालत से राहत प्राप्त करने के लिए उठाया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को स्थगित किया और सरकार के प्रयासों पर भरोसा जताया।