रिटायर्ड अफसर 6 दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रहा, जानिए कैसे ठगे 24 लाख रुपये

एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) का अधिकारी बताया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 30 June 2025, 4:34 PM IST
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Noida News: शहर में साइबर अपराधियों की एक और सनसनीखेज वारदात सामने आई है। इस बार ठगों ने वायरलेस विभाग से सेवानिवृत्त एक बुजुर्ग अधिकारी को झूठे मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर उनसे 24 लाख 50 हजार रुपये की ठगी कर ली। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि ठगों ने पीड़ित को छह दिनों तक वीडियो कॉल पर 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा और उनकी हर गतिविधि पर नजर रखी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, सेक्टर-82 निवासी 68 वर्षीय सुखदास ने साइबर क्राइम थाना में दी शिकायत में बताया कि जून के दूसरे सप्ताह में उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) का अधिकारी बताया। उसने दावा किया कि सुखदास के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर कई सिम कार्ड जारी किए गए हैं, जिनका उपयोग फर्जी बैंक खातों में किया गया है। इन खातों के जरिए अंतरराष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियां की गई हैं।

ड्रग्स वाले पार्सल का डर दिखाया

इसके बाद कॉल को एक अन्य व्यक्ति के पास ट्रांसफर कर दिया गया, जिसने खुद को पुलिस अधिकारी बताया। उस व्यक्ति ने सुखदास को बताया कि उनके नाम और पते से जो पार्सल भेजा गया है, उसमें ड्रग्स और अन्य आपत्तिजनक वस्तुएं मिली हैं। मामला गंभीर है और अब इसकी जांच सीबीआई कर रही है।

'डिजिटल अरेस्ट' में रखा गया

फर्जी पुलिस अधिकारी ने पीड़ित को यह कहकर डरा दिया कि उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जा सकता है। साथ ही उन्हें बताया गया कि यदि वे चाहते हैं कि जांच डिजिटल माध्यम से हो तो उन्हें लगातार वीडियो कॉल पर बने रहना होगा और इस पूरी प्रक्रिया की जानकारी किसी को नहीं देनी होगी। डर के माहौल में सुखदास ने उनकी बात मान ली और 12 जून से वीडियो कॉल पर बने रहे।

बैंक खातों की जानकारी लेकर ट्रांसफर करवाई रकम

वीडियो कॉल के दौरान ठगों ने पीड़ित से उनके बैंक खातों की जानकारी ली और कहा कि उनके खातों की जांच आरबीआई करेगी। जांच के लिए खातों में जमा राशि को एक निर्दिष्ट खाते में ट्रांसफर करना जरूरी है। आश्वासन दिया गया कि जांच पूरी होने के बाद पूरी राशि वापस कर दी जाएगी। पीड़ित ने ठगों के कहे अनुसार 18 जून तक पांच बार में कुल 24.5 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।

संपर्क टूटने पर हुआ शक

जब ठगों ने सुखदास पर और पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बनाना शुरू किया, तब उन्हें शक हुआ। उन्होंने पैसे वापस मांगने की कोशिश की, लेकिन ठगों ने उनसे संपर्क तोड़ दिया। जब सुखदास ने संबंधित नंबर पर दोबारा कॉल करने की कोशिश की तो वह बंद मिला।

परिवार को बताया, पुलिस में शिकायत दर्ज

इसके बाद सुखदास ने घटना की जानकारी अपने परिवार को दी और फिर साइबर क्राइम थाना में जाकर शिकायत दर्ज करवाई। थाना प्रभारी ने बताया कि अज्ञात ठगों के खिलाफ धोखाधड़ी और आईटी ऐक्ट की धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया है। जिन खातों में ठगी की रकम भेजी गई है, उनकी जानकारी जुटाई जा रही है।

सावधानी बरतें, सतर्क रहें

यह मामला एक बार फिर चेतावनी देता है कि अनजान कॉल और खुद को अधिकारी बताने वालों से सतर्क रहना चाहिए। कोई भी जांच या कानूनी कार्रवाई कभी इस तरह फोन और वीडियो कॉल पर नहीं की जाती। किसी भी अनजान व्यक्ति को बैंक से जुड़ी जानकारी या आधार नंबर साझा न करें और संदेह की स्थिति में तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें।

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