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नोएडा और गाजियाबाद में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान के तहत 57 बीएलओ के खिलाफ गंभीर लापरवाही के आरोप लगे हैं। प्रशासन ने FIR दर्ज करने का प्रस्ताव तैयार किया है। ड्यूटी न करने पर 3 महीने से 2 साल तक की सजा हो सकती है।
नोएडा में 19 बीएलओ की होगी कार्रवाई (सोर्स- गूगल)
Noida: यूपी के नोएडा और गाजियाबाद में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के लिए शुरू किए गए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान में अब तक 20 दिन बीत चुके हैं, लेकिन कुछ बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) लगातार अपनी ड्यूटी में लापरवाही दिखा रहे हैं। नोएडा प्रशासन ने 19 बीएलओ के खिलाफ FIR दर्ज करने का प्रस्ताव तैयार किया है।
जिलाधिकारी मेधा रूपम ने बताया कि 7 नवंबर को SIR कार्य में ढिलाई दिखाने वाले कुल 140 बीएलओ को चेतावनी दी गई थी। अधिकांश अधिकारी चेतावनी के बाद अपनी जिम्मेदारी पर लौट आए, लेकिन 19 बीएलओ अब तक काम शुरू नहीं कर पाए। इनमें जेवर के 7, सदर के 3 और दादरी के 9 बीएलओ शामिल हैं।
मेधा रूपम ने कहा कि इन बीएलओ ने स्पष्टीकरण और लिखित प्रतिनिधित्व भी प्रस्तुत किया, लेकिन लगातार अनुपस्थित रहने के कारण अब उन्हें कार्रवाई से बचना संभव नहीं है। विभागीय जांच शुरू कर दी गई है और FIR दर्ज करने की प्रक्रिया मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश की मंजूरी पर निर्भर है।
गाजियाबाद प्रशासन ने भी 38 बीएलओ के खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच शुरू कर दी है। इन अधिकारियों ने फॉर्म वितरण और संग्रहण में रुचि नहीं दिखाई, जिससे मतदाता सूची के अद्यतन कार्य में बाधा आई।
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पिछले सप्ताह 25 बीएलओ के खिलाफ FIR का प्रस्ताव भेजा गया था, जबकि बुधवार को 13 और नाम इसमें जोड़े गए। एडीएम प्रशासन सौरभ भट्ट ने बताया कि शिकायत सिहनी गेट थाने को भेज दी गई है और जल्द ही FIR दर्ज की जाएगी।
चुनाव आयोग (सोर्स- गूगल)
बीएलओ के खिलाफ धारा 32 के तहत कार्रवाई की जाएगी। यह धारा उन सरकारी अधिकारियों पर लागू होती है, जो मतदाता सूची तैयार करने या संशोधन में लापरवाही करते हैं।
धारा 32 के तहत, बिना उचित कारण ड्यूटी न करने पर 3 महीने से 2 वर्ष तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा, अदालत जुर्माना भी लगा सकती है। हालांकि FIR तभी दर्ज की जाएगी जब निर्वाचन आयोग या राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी इसकी अनुमति देंगे।
SIR अभियान का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को 100% सटीक और अद्यतन बनाना है। इसमें बीएलओ की भूमिका बेहद अहम होती है। वे फॉर्म भरवाने, नए वोटर जोड़ने और पुराने नाम अपडेट करने जैसे कार्य करते हैं। उनकी लापरवाही सीधे चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।
सटीक मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए बीएलओ को समय पर और जिम्मेदारी के साथ काम करना आवश्यक है। नोएडा और गाजियाबाद प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अब कोई भी अधिकारी लापरवाही नहीं कर सकता।
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जिलाधिकारी और एडीएम प्रशासन ने चेतावनी दी है कि किसी भी प्रकार की ढिलाई स्वीकार्य नहीं होगी। FIR दर्ज होने के बाद न केवल अधिकारियों को सजा हो सकती है, बल्कि उनके भविष्य की सेवाओं पर भी असर पड़ेगा। SIR अभियान की सफलता सीधे लोकतंत्र की प्रक्रिया से जुड़ी है। प्रशासन की यह कार्रवाई यह दिखाती है कि मतदाता सूची अद्यतन रखने के काम में कोई ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।