हिंदी
आज समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की जयंती धरतीपुत्र दिवस के रूप में मनाई जाती है। गरीब किसान परिवार से निकलकर मुख्यमंत्री और रक्षा मंत्री बनने तक का उनका सफर संघर्ष, जमीन से जुड़ाव और जनसेवा की मिसाल रहा।
मुलायम सिंह यादव का प्रेरक सफर
Lucknow: आज समाजवादी पार्टी के संस्थापक उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री और देश के पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव की जयंती है। इस खास अवसर पर कई बड़े नेताओं ने उन्हें याद किया और जन्मदिन की बधाई दी। 22 नवंबर को हर साल उनकी जयंती को ‘धरतीपुत्र दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
गांव की मिट्टी से उठकर राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा नाम बनने वाले मुलायम सिंह यादव की जीवनगाथा संघर्ष, सरलता और जनसेवा की अनूठी मिसाल है। आइए ऐसे में उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातों के बारे में जानते हैं।
मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखने वाले मुलायम का बचपन तंगी में बीता। परिवार इतना साधारण था कि गांव से बाहर जाने के लिए भी उन्हें किसी से साइकिल उधार लेना पड़ती थी।
पढ़ाई पूरी करने के बाद वे शिक्षक बने। लेकिन सामाजिक मुद्दों और संघर्षों में हमेशा आगे रहने वाले मुलायम ने 21 साल की उम्र में पहली बार राजनीति में कदम रखा। आगे चलकर वे विरोध, संघर्ष और हार-जीत की अनेक कहानियों से गुजरते हुए राजनीति के बड़े नेता बने।
मुलायम सिंह यादव की राजनीति का विस्तार तेजी से हुआ। 1989 में वे पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 51 साल की उम्र में राज्य की कमान संभालते हुए उन्होंने किसानों, पिछड़ों और गरीब तबकों के लिए कई बड़े निर्णय लिए। उनके राजनीतिक कौशल और ज़मीनी पकड़ ने उन्हें उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक केंद्रीय चेहरा बना दिया।
मुलायम सिंह यादव जहां से आए उसे कभी नहीं भूले। छोटे से गांव सैफई को उन्होंने उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के नक्शे पर पहचान दिलाई। चाहे मेडिकल कॉलेज हो, खेल संस्थान, सड़कें या शिक्षा उन्होंने अपनी जन्मभूमि के विकास को हमेशा प्राथमिकता दी। अंतिम सांस तक सैफई से जुड़े रहना उनकी पहचान बन गया।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव (सोर्स- गूगल)
मुलायम सिंह राजनीति के उन नेताओं में रहे जो ऊंची कुर्सी पर पहुंचने के बाद भी अपने लोगों को नहीं भूलते थे। अमर सिंह हों, आज़म खान हों या फिर उनके भाई शिवपाल सिंह यादव उन्होंने सभी को आगे बढ़ने में मदद की। वे राजनीति में रिश्तों की कद्र करते थे, चाहे उसके कारण उन्हें खुद नुकसान ही क्यों न उठाना पड़े।
साल 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने शानदार जीत हासिल की। पार्टी को 403 में से 226 सीटें मिलीं और मुलायम चौथी बार मुख्यमंत्री बन सकते थे। लेकिन उन्होंने सत्ता की कमान अपने बेटे अखिलेश यादव को सौंप दी। यह फैसला उनके दूरदर्शी नेतृत्व और परिवार की एकजुटता को दर्शाता है।
मुलायम सिंह यादव की पुण्यतिथि पर रायबरेली में सपा ने किया भावपूर्ण आयोजन, पढ़ें पूरी खबर
देश के रक्षा मंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव बेहद निर्णायक नेता साबित हुए। Sukhoi और Bofors को लेकर उनके फैसलों ने उन्हें चर्चा में रखा। उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि बोफोर्स तोप की बेहतरीन क्षमता देखकर उन्होंने वह फाइल ही गायब कराई जिसमें राजीव गांधी पर आरोप लगाए गए थे।
मुलायम सिंह जनता के नेता थे। उनके चचेरे भाई रामगोपाल यादव ने उनके निधन पर कहा था कि ऐसा कोई गांव या तहसील नहीं थी जहां मुलायम सिंह न गए हों। वह हमेशा लोगों से मिलते, बात करते और उनकी समस्याएँ सुनते थे। यही ज़मीनी जुड़ाव उन्हें ‘धरतीपुत्र’ की उपाधि दिलाने का सबसे बड़ा कारण था।