

उरई कोतवाली में अपर जिलाधिकारी नमामि गंगे की अध्यक्षता में थाना समाधान दिवस आयोजित हुआ। शिकायतों का निष्पक्ष निस्तारण और अधिकारियों की लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाया गया।
उरई में समाधान दिवस का आयोजन (डाइनामाइट न्यूज़ फोटो)
Jalaun News: शनिवार का दिन उरई कोतवाली परिसर में कुछ खास रहा। जहां एक ओर आम जनता अपनी शिकायतों के साथ उम्मीदों का बोझ लिए पहुंची, वहीं दूसरी ओर अपर जिलाधिकारी (नमामि गंगे) प्रेमचंद मौर्य की सख्ती और सूझबूझ ने इस थाना संपूर्ण समाधान दिवस को चर्चा का विषय बना दिया। कोतवाली परिसर में आयोजित इस समाधान दिवस में न केवल समस्याओं का निपटारा हुआ, बल्कि अधिकारियों की जवाबदेही पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, प्रेमचंद मौर्य ने जैसे ही समाधान दिवस की कमान संभाली, माहौल में एक अलग ही गंभीरता छा गई। फरियादियों की भीड़ में हर चेहरा अपनी समस्या का हल ढूंढने को बेताब था। कोई जमीन विवाद को लेकर परेशान था, तो किसी को सरकारी योजनाओं के लाभ न मिलने की शिकायत थी। कुछ लोग तो ऐसे भी थे, जिनकी समस्याएं वर्षों से अनसुलझी थीं। एडीएम ने हर शिकायत को गहरी तल्लीनता से सुना और संबंधित अधिकारियों को तत्काल निस्तारण के लिए सख्त निर्देश दिए।
लापरवाही नहीं होगी बर्दाश्त
एडीएम ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “शिकायतों का निस्तारण निष्पक्ष और पारदर्शी होना चाहिए। किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” उनके इस बयान ने न केवल फरियादियों में विश्वास जगाया, बल्कि अधिकारियों को भी अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराया। उन्होंने अधिकारियों को मौके पर जाकर समस्याओं का समाधान करने और शिकायतकर्ताओं को संतुष्ट करने का आदेश दिया। इस दौरान जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय के निर्देशों का उल्लेख करते हुए एडीएम ने जोर देकर कहा कि थाना समाधान दिवस में सभी संबंधित अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य है।
खंड विकास अधिकारी का एक दिन का वेतन रोका
लेकिन इस आयोजन में खंड विकास अधिकारी (डकोर) की अनुपस्थिति ने सभी का ध्यान खींचा। एडीएम ने इस लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाते हुए न केवल उनकी अनुपस्थिति पर नाराजगी जताई, बल्कि उनका एक दिन का वेतन रोकने और प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज करने का आदेश भी दिया। यह कार्रवाई पूरे परिसर में चर्चा का विषय बन गई और अधिकारियों के बीच एक संदेश गया कि लापरवाही की कोई जगह नहीं है।
इस समाधान दिवस में क्षेत्राधिकारी अर्चना सिंह, कोतवाली प्रभारी अरुण राय और विभिन्न विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे। हर शिकायत पर गहन विचार-विमर्श हुआ और कई मामलों का मौके पर ही निपटारा किया गया। इस आयोजन ने न केवल जनता की समस्याओं को सुना, बल्कि प्रशासन की जवाबदेही को भी उजागर किया।