

महराजगंज के जवाहरलाल नेहरू स्मारक पीजी कॉलेज में बी.ए. तृतीय वर्ष के छात्रों ने अंकपत्र में त्रुटि के कारण अगली कक्षा में प्रवेश न मिलने पर कुलपति का पुतला फूंककर विरोध जताया। छात्रों का आरोप है कि उनके अंकपत्र में गलती से ‘बैक’ अंकित किया गया है, जिससे उनका भविष्य खतरे में पड़ गया है।
आक्रोशित छात्रों ने कुलपति का पुतला फूंका
Mahrajganj: जवाहरलाल नेहरू स्मारक पीजी कॉलेज, महराजगंज में बुधवार को छात्र-छात्राओं का आक्रोश फूट पड़ा। बी.ए. तृतीय वर्ष (पंचम, षष्ठम और द्वितीय सेमेस्टर) के दर्जनों छात्र-छात्राओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाते हुए कुलपति का पुतला फूंक दिया और कॉलेज परिसर में जमकर धरने पर बैठकर नारेबाजी की।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, छात्रों का कहना है कि उनके अंकपत्र में त्रुटिपूर्वक 'बैक' अंकित किया गया है, जबकि उन्होंने सभी परीक्षाएं समय से दी थीं। लेकिन, अंकपत्र में 'बैक' दिखाए जाने की वजह से अगली कक्षा में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। इस कारण छात्रों के शैक्षिक भविष्य पर गहरा संकट आ गया है।
छात्रों ने रजिस्ट्रार को दो बार सौंपा ज्ञापन
इससे पहले भी छात्रों ने रजिस्ट्रार से दो बार ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्या का समाधान चाहा था और कॉलेज प्राचार्य से विशेष परीक्षा (स्पेशल एग्जाम) कराने की भी मांग की थी। हालांकि, अब तक इस मामले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इसके चलते छात्रों का गुस्सा और बढ़ गया है।
छात्रों ने दी आंदोलन की चेतावनी
इसके अलावा, छात्र नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो वे एक बड़ा आंदोलन शुरू करने को मजबूर होंगे। छात्रों का कहना है कि अगर जल्दी ही अंकपत्र की त्रुटियां नहीं सुधारी गईं और अगली कक्षा में प्रवेश की सुविधा प्रदान नहीं की गई, तो वे विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रशासन के खिलाफ और भी उग्र आंदोलन करेंगे। बता दें कि प्रदर्शन के दौरान मौजूद प्रमुख छात्र नेताओं में राजमंगल यादव, देवेंद्र यादव, अब्दुल्लाह सिद्दीकी, शांति, रूपा गौतम, अभिषेक कुमार सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल थे। छात्रों ने इस प्रदर्शन में नारेबाजी करते हुए प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की।
कॉलेज की तरफ से नहीं आई कोई प्रतिक्रिया
छात्रों का कहना है कि अगर उनकी समस्या का शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो वे संयुक्त आंदोलन की योजना बना सकते हैं, जो कि केवल कॉलेज परिसर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह राज्य स्तर पर भी फैल सकता है। विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से अब तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।