भारत मुक्ति मोर्चा ने सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा ज्ञापन, स्कूल बंद करने के निर्णय का कड़ा विरोध

जालौन में भारत मुक्ति मोर्चा ने कम नामांकन वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद किए जाने के निर्णय का कड़ा विरोध किया और राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़ें पूरी खबर

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 24 June 2025, 4:35 PM IST
google-preferred

जालौन: भारत मुक्ति मोर्चा ने उत्तर प्रदेश सरकार के निर्णय का कड़ा विरोध जताया है, जिसमें कम नामांकन वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने या आपस में मर्ज करने का फैसला लिया गया है। संगठन के जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर राज्यपाल को संबोधित एक ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस अवसर पर राष्ट्रीय पंचायत मोर्चा के अध्यक्ष आर.वी. कुशवाहा, मंडल अध्यक्ष नाथूराम बौद्ध, एल.आर. अटल, संतराम वर्मा, बी.एम.पी. अध्यक्ष हल्के सिंह सहित संगठन के कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।

इस दौरान, भारत मुक्ति मोर्चा ने उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के उस निर्णय का पुरजोर विरोध किया, जिसमें कम नामांकन वाले स्कूलों को पेयरिंग या मर्जिंग के जरिए बंद करने की योजना बनाई गई है। संगठन का कहना है कि यह निर्णय ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों की शिक्षा के लिए घातक सिद्ध होगा। ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय न केवल शिक्षा का माध्यम हैं, बल्कि समाज के सबसे वंचित और निचले तबके के बच्चों के लिए ज्ञान की एकमात्र उम्मीद भी हैं। इन स्कूलों को बंद करने से लाखों बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो सकता है।

संगठन ने दी चेतावनी

प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा का ढांचा काफी हद तक ग्रामीण विद्यालयों पर निर्भर है। ये स्कूल ग्रामीण बच्चों को न केवल अक्षर ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए शिक्षा का एकमात्र स्रोत भी हैं। सरकार का यह निर्णय इन बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन है। वक्ताओं ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने अपने फैसले को वापस नहीं लिया, तो संगठन व्यापक स्तर पर आंदोलन शुरू करेगा।

संगठन के नेताओं ने यह भी बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में पहले से ही शिक्षा की स्थिति चिंताजनक है। कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी, बुनियादी सुविधाओं का अभाव और अन्य समस्याएं मौजूद हैं। ऐसे में स्कूलों को बंद करने का निर्णय स्थिति को और बदतर कर देगा। उन्होंने मांग की कि सरकार स्कूलों को बंद करने के बजाय उनकी स्थिति सुधारने पर ध्यान दे। स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति, बुनियादी ढांचे का विकास और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की जाए।

Location : 
  • Jalaun

Published : 
  • 24 June 2025, 4:35 PM IST