

रायबरेली में टीईटी के फर्जी प्रमाण पत्र से 10 वर्षों तक शिक्षक बने दीनानाथ वर्मा को बर्खास्त कर दिया गया। एसआईटी जांच में फर्जीवाड़ा सामने आने पर 78 लाख रुपये की वसूली और मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए।
बेसिक शिक्षा विभाग
Raebareli: उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर पिछले 10 वर्षों से शिक्षक की नौकरी करने वाले एक शिक्षक पर कार्रवाई की गई है। बेसिक शिक्षा विभाग ने उसे बर्खास्त कर दिया है और खंड शिक्षा अधिकारी को उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। इस घटना ने बेसिक शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा दिया है और अन्य शिक्षकों में भय का माहौल उत्पन्न कर दिया है।
10 वर्षों तक शिक्षक की नौकरी करता रहा फर्जी शिक्षक
यह मामला डलमऊ ब्लॉक के मखदुमपुर गांव स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय से जुड़ा है, जहां दीनानाथ वर्मा नामक व्यक्ति ने 2015 में टीईटी 2011 का फर्जी प्रमाण पत्र पेश करके नौकरी प्राप्त की थी। वह विज्ञान और गणित विषय में 29 हजार रुपये प्रति माह की सैलरी पर शिक्षक के रूप में कार्यरत था। करीब 10 सालों तक दीनानाथ वर्मा ने बेसिक शिक्षा विभाग से 78 लाख रुपये से अधिक की राशि प्राप्त की, जो अब विभाग को वसूल करने के आदेश जारी किए गए हैं।
एसआईटी जांच में खुलासा, फर्जी प्रमाण पत्र का हुआ पर्दाफाश
एसआईटी की जांच में यह बात सामने आई कि दीनानाथ वर्मा ने जानबूझकर टीईटी प्रमाण पत्र के फर्जी दस्तावेज पेश किए थे, जिनकी सत्यता की जांच नहीं की गई थी। नौकरी मिलने के बाद से वह लगातार विभागीय नियमों का उल्लंघन कर रहा था। विभाग की ओर से मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की गई थी, जिसमें वर्मा के फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने का खुलासा हुआ।
खंड शिक्षा अधिकारी को मुकदमा दर्ज करने का आदेश
प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी संजीव कुमार सिंह ने जानकारी दी कि दीनानाथ वर्मा को बर्खास्त कर दिया गया है और खंड शिक्षा अधिकारी डलमऊ को उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, बेसिक शिक्षा विभाग से प्राप्त की गई 78 लाख रुपये की राशि वसूलने का आदेश भी दिया गया है। विभाग का कहना है कि यह मामला न केवल सरकारी धन की हानि का है, बल्कि यह सार्वजनिक नौकरी की मर्यादा और विश्वास का भी उल्लंघन है।
शिक्षकों में हड़कंप
इस घटना के बाद से रायबरेली जिले के अन्य शिक्षक वर्ग में हड़कंप मच गया है। शिक्षकों का कहना है कि इस तरह की धोखाधड़ी से पूरे शिक्षा तंत्र की छवि धूमिल होती है और विभाग को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। कुछ शिक्षक यह भी आशंका जता रहे हैं कि ऐसी घटनाओं के कारण उनका भी नाम गलत तरीके से जुड़ सकता है, जिससे उन्हें भी दिक्कत हो सकती है।
बर्खास्तगी और जांच के बाद क्या होगा?
बेसिक शिक्षा विभाग ने दीनानाथ वर्मा की बर्खास्तगी के बाद यह भी स्पष्ट किया है कि भविष्य में इस प्रकार की धोखाधड़ी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। विभाग की ओर से यह आदेश जारी किया गया है कि हर शिक्षक के दस्तावेजों की जांच की जाएगी ताकि कोई भी व्यक्ति फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी न पा सके।
यह मामला अभी जांच के दायरे में है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए शिक्षा विभाग और कड़ी निगरानी रखेगा।