ISRO-NASA का संयुक्त मिशन NISAR: 30 जुलाई को होगा लॉन्च, हर 12 दिन में पूरी धरती की करेगा स्कैनिंग

भारत और अमेरिका की स्पेस एजेंसियां ISRO और NASA पहली बार मिलकर एक अत्याधुनिक अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट NISAR लॉन्च कर रही हैं। यह मिशन जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और धरती की सतह में हो रहे बदलावों की निगरानी में महत्वपूर्म साबित होगा।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 29 July 2025, 8:56 AM IST
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New Delhi: पहली बार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) संयुक्त रूप से वैश्विक महत्व का उपग्रह मिशन लॉन्च करने जा रहे हैं। इस उपग्रह का नाम "निसार" (नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार) है। इसे 30 जुलाई, 2025 को शाम 5:40 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा।

यह अत्याधुनिक उपग्रह पृथ्वी पर पर्यावरणीय परिवर्तनों, प्राकृतिक आपदाओं और मानवीय गतिविधियों पर नज़र रखेगा। यह मिशन भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी का एक अनूठा उदाहरण है।

क्या है NISAR की खासियत?

निसार, इसरो के I3K सैटेलाइट बस पर निर्मित 2400 किलोग्राम का एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है। इसमें दो प्रमुख रडार तकनीकों का उपयोग किया गया है: एल-बैंड रडार (नासा द्वारा विकसित) और एस-बैंड रडार (इसरो द्वारा विकसित)। इन दोनों की मदद से यह उपग्रह 240 किलोमीटर चौड़ाई तक की उच्च-रिजोल्यूशन तस्वीरें भेज सकेगा।

इस सैटेलाइट का 12 मीटर लंबा एंटीना अंतरिक्ष में जाकर 9 मीटर का बूम फैलाकर खुलेगा, जो एक अभूतपूर्व तकनीक है।

मिशन के चार प्रमुख फेज

1. लॉन्च फेज: उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित करना।
2. डिप्लॉयमेंट फेज: एंटीना और अन्य उपकरणों को फैलाना व सक्रिय करना।
3. कमिशनिंग फेज: पहले 90 दिन में सभी सिस्टम की जांच और सेटिंग।
4. साइंस फेज: वैज्ञानिक डाटा संग्रहण और विश्लेषण का प्रारंभ।

किन क्षेत्रों में होगा उपयोग?

यह सैटेलाइट हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी का स्कैन करेगा और बर्फबारी, भूकंप, ज्वालामुखी, बवंडर, तूफान, जंगलों की कटाई, खेती की स्थिति, ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्र स्तर में वृद्धि, और भूमि उपयोग के बदलाव जैसे मामलों की जानकारी देगा। इसके डेटा से कार्बन रीजर्व, वेटलैंड और ग्रीनहाउस गैसों के प्रभाव का भी विश्लेषण संभव होगा।

भारत के लिए क्यों खास है यह मिशन?

NISAR से प्राप्त उच्च गुणवत्ता की इमेजिंग भारत के कृषि, आपदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन नीति और सीमाई सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में मददगार होगी। खास तौर पर हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियर, पाकिस्तान व चीन की सीमाओं पर नजर और जलवायु से जुड़ी नीतियों के लिए यह सैटेलाइट एक अहम भूमिका निभाएगा।

इस मिशन की एक बड़ी खासियत यह है कि इसका पूरा डेटा सार्वजनिक और मुफ्त रूप से उपलब्ध रहेगा, जिससे दुनियाभर के वैज्ञानिक और नीति निर्माता इसका उपयोग कर सकेंगे।

वैज्ञानिकों की प्रतिक्रिया

ISRO के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने कहा, “NISAR न केवल भारत और अमेरिका बल्कि पूरे विश्व के लिए एक उपयोगी संसाधन होगा। यह मिशन पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।” यह सैटेलाइट मिशन भविष्य की तकनीकी साझेदारी और पर्यावरणीय जागरूकता का नया अध्याय साबित होगा। 30 जुलाई को यह ऐतिहासिक लॉन्च दुनिया भर की नजरें भारत और अमेरिका की इस ऐतिहासिक साझेदारी पर टिकाए रखेगा।

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