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यूपी के रायबरेली में शिक्षा का मखौल उड़ाने का मामला सामने आया है। अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल इसलिये भेजते हैं कि ताकि उनके बच्चे पढ़-लिखकर काबिल बन सकें। लेकिन दूसरी तरफ स्कूल में पढ़ाने की जिम्मेदारी निभाने वाले अध्यापक बच्चों को काबिल बनाने के बजाए मजदूर बना रहे हैं।
रायबरेली में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
Raebareli: रायबरेली में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ का मामला सामने आया है। सरकार भले ही शिक्षा के स्तर को सुधारने और बच्चों को बेहतर माहौल देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हो, लेकिन रायबरेली से प्रधानाध्यापिका की घोर लापरवाही और संवेदनहीनता को मामला उजागर हुआ है। यह घटना प्रदेश सरकार की मंशा पर पानी फेरने का काम कर रही है।
जनपद रायबरेली के अमावां ब्लॉक के संदी नागिन स्थित प्राथमिक विद्यालय से एक चौंकाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। वीडियो में स्कूल की प्रधानाध्यापिका प्रतिभा सिंह द्वारा मासूम और छोटे-छोटे बच्चों से कड़ाके की ठंड में पढ़ाई कराने की बजाय ईंटें ढुलवाई जा रही हैं। बच्चे अपने छोटे-छोटे हाथों से ईंटों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते साफ दिखाई दे रहे हैं, जो विद्यालय में हो रहे इंटरलॉकिंग के काम के लिए इस्तेमाल की जा रही थीं।
सबसे दुखद पहलू यह है कि ये बच्चे उन गरीब, दिहाड़ी मजदूर परिवारों से आते हैं, जिनके पास महंगे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने का सामर्थ्य नहीं है। इनकी कठिन रोजमर्रा की जिंदगी इन्हें शिक्षकों से सवाल करने की हिम्मत नहीं देती। शायद यही वजह है कि स्कूल की प्रिंसिपल ने इन बच्चों की मजबूरी का फायदा उठाया और इन्हें शिक्षा के अधिकार से वंचित कर इनसे लेबरों वाला काम लिया। माता-पिता की आवाज न उठा पाने की 'हनक' को समझते हुए इस तरह का अमानवीय कृत्य किया गया।
जब इस घटना का वीडियो बनाया गया, तो महिला टीचर ने अपनी गलती मानने की बजाय उल्टा सफाई देते हुए वीडियो डिलीट कराने और वीडियो न बनाने की गुहार लगाने लगी। उन्होंने आनन-फानन में बच्चों को स्कूल के अंदर भेजना शुरू कर दिया, जो उनकी गलती छुपाने की कोशिश को दर्शाता है।
गंभीर मामले की जानकारी जब बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) राहुल सिंह तक पहुंची, तो उन्होंने इस पर संज्ञान लिया। उन्होंने मीडिया को बताया कि मामले की जांच करा कर उचित कार्रवाई की जाएगी। अब देखना यह है कि खबर चलने के बाद संबंधित अधिकारी कितनी गंभीरता से इस मामले में कार्रवाई करते हैं और क्या ऐसी संवेदनहीन प्रिंसिपल पर कोई कठोर दंडात्मक कदम उठाया जाता है, ताकि भविष्य में कोई भी शिक्षक बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन न कर सके।