Thailand Wrestling Championship: इंजरी के बावजूद साहिल डागर ने जीता गोल्ड, जानें क्या है सफलता का राज

सोनीपत के पहलवान साहिल डागर ने थाईलैंड में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर देश और जिले का नाम रौशन किया है। 2020 में कुश्ती शुरू करने वाले साहिल ने 100 से ज्यादा दंगलों में हिस्सा लिया और कीचड़ की कुश्ती में अपनी पकड़ बनाई।

Post Published By: Mrinal Pathak
Updated : 6 August 2025, 10:50 AM IST
google-preferred

New Delhi: सोनीपत के गांव रेवली के युवा पहलवान साहिल डागर ने थाईलैंड में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में ओपन कुश्ती वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर देश और जिले का नाम रोशन किया है। इस प्रतियोगिता में भारत और थाईलैंड के कुल 65 पहलवानों ने हिस्सा लिया, जिनमें भारत के 30 पहलवान भी शामिल थे। इसी टूर्नामेंट में सोनीपत के गांव सीतावाली के प्रवीण ने रजत पदक जीता, जिससे दोनों पहलवानों ने अपनी मेहनत का फल प्राप्त किया।

किसान परिवार से आया कुश्ती का सितारा

साहिल डागर का परिवार एक साधारण किसान परिवार है। उनके पिता स्वयं कुश्ती में रुचि रखते थे, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते वह इस खेल में आगे नहीं बढ़ सके। पिता ने अपनी इच्छाओं को अपने बेटों पर केंद्रित करते हुए दोनों बेटों को अखाड़े से जोड़ने का प्रयास किया। हालांकि बड़े बेटे को कुछ व्यक्तिगत परिस्थितियों के कारण पीछे हटना पड़ा, लेकिन साहिल ने अखाड़े में पूरी मेहनत और लगन से खुद को साबित किया। उनका संघर्ष और समर्पण आज स्वर्ण पदक के रूप में देश के सामने आया है।

100 से अधिक दंगलों का अनुभव

साहिल ने 2020 में कुश्ती की शुरुआत की और तब से लेकर अब तक हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में 100 से अधिक दंगलों में हिस्सा लिया है। कीचड़ की कुश्ती में उनकी पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती है, जो उनकी खेल के प्रति निष्ठा और कड़ी मेहनत का प्रमाण है।

चोट के बावजूद नहीं हारी हिम्मत

पुरखास गांव में एक दंगल के दौरान साहिल की कमर के जोड़ में चोट लग गई थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इस चोट के बावजूद साहिल ने थाईलैंड की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया। यह उनकी अदम्य इच्छाशक्ति और समर्पण का परिचायक है।

लॉकडाउन में पिता का अहम योगदान

कोरोना लॉकडाउन के दौरान साहिल के पिता ने उनके खान-पान का विशेष ध्यान रखा। वह कई किलोमीटर दूर से सुबह-शाम दूध लाकर साहिल के शरीर को मजबूत बनाए रखने में मदद करते रहे। पिता के इस समर्थन ने साहिल को कठिनाइयों के बीच भी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद की।

सोनीपत में दिया गया गरमजोशी से स्वागत

दोनों पहलवानों साहिल डागर और प्रवीण को सोनीपत लौटने पर उनके गांव वालों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। उनकी जीत ने पूरे जिले में खुशी का माहौल बना दिया है और युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत साबित हो रही है।

 

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 6 August 2025, 10:50 AM IST