

भारतीय महिला मुक्केबाजों ने अंडर-19 और अंडर-22 एशियाई चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन किया है। सात अंडर-19 मुक्केबाजों ने सेमीफाइनल में जगह बनाई, जबकि अंडर-22 वर्ग में एक दर्जन से अधिक पदक हासिल किए गए।
अंडर-19 एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप (सोर्स- सोशल मीडिया)
New Delhi: भारतीय महिला मुक्केबाजों ने अंडर-19 एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में अपना दबदबा कायम रखा है। सात भारतीय खिलाड़ियों ने 51 किग्रा से लेकर 75 किग्रा तक के विभिन्न भार वर्गों में सेमीफाइनल में जगह बनाई है। यशिका (51 किग्रा), निशा (54 किग्रा), मुस्कान (57 किग्रा), विनी (60 किग्रा), निशा (65 किग्रा), आकांक्षा (70 किग्रा), और आरती कुमारी (75 किग्रा) ने अपने शानदार प्रदर्शन से देश का नाम रोशन किया। इन सभी खिलाड़ियों ने क्वालिफिकेशन राउंड पार करते हुए अब पदक की दौड़ में खुद को मजबूत दावेदार बना लिया है।
अंडर-22 वर्ग में भी भारतीय मुक्केबाजों का प्रदर्शन बेहद प्रभावशाली रहा। इस वर्ग में भारतीय महिला मुक्केबाजों ने एक दर्जन से अधिक पदक हासिल किए हैं, जो उनके कौशल और मेहनत का परिणाम है। यशिका ने उज्बेकिस्तान की मुक्केबाज मुख्तार अलीवा को कड़े मुकाबले के बाद 3-2 के अंतर से हराया। वहीं, निशा ने 54 किग्रा वर्ग में किर्गिस्तान की मिलाना शिखशाबेकोवा को रेफरी द्वारा मैच रोकने (आरएससी) के आधार पर हराकर अपनी ताकत का परिचय दिया।
मुस्कान ने उज्बेकिस्तान की रुबिया रवशनोवा को सर्वसम्मत निर्णय से हराकर शानदार प्रदर्शन किया। इसी तरह, विनी ने किर्गिस्तान की एडेलिया किज़ी को रेफरी द्वारा मैच रोकने के बाद हराया, जो उनकी बढ़ती हुई क्षमता का संकेत है। निशा ने 65 किग्रा भार वर्ग में चीनी ताइपे की यू एन ली को तीन राउंड तक चले मुकाबले के बाद सर्वसम्मत निर्णय से मात दी। आकांक्षा ने पहले राउंड में मंगोलिया की एनखगेरेल गेरेलमांख को आरएससी के जरिए हराकर अपनी शक्ति और तकनीक का लोहा मनवाया।
75 किग्रा वर्ग की आरती कुमारी ने कजाकिस्तान की जरीना टी को 4-1 से मात दी, जो उनकी निपुणता और अनुभव का प्रमाण है। वहीं, 48 किग्रा भार वर्ग में सुमन कुमारी को उज्बेकिस्तान की मफ्तुना मुसुरमोनोवा ने 3-2 से कड़े मुकाबले में हराया, लेकिन सुमन का प्रदर्शन भी प्रशंसनीय रहा।
भारतीय महिला मुक्केबाजों के इस शानदार प्रदर्शन से देश में उम्मीदें और बढ़ गई हैं कि आने वाले समय में वे एशिया के साथ-साथ विश्व स्तर पर भी अपने पदचिह्न छोड़ेंगी। उनके उत्साह और समर्पण ने साबित किया है कि भारतीय मुक्केबाजी लगातार विकास के रास्ते पर है और भविष्य में बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सकती है।