

लोकसभा में सोमवार को राष्ट्रीय खेल विधेयक और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक पारित कर दिए गए। खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने इसे स्वतंत्रता के बाद का सबसे बड़ा खेल सुधार बताया, जबकि विपक्षी सदस्य विधेयकों की प्रक्रिया से अनुपस्थित रहे। विधेयक के जरिए खेल संघों में जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के लिए राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) का गठन प्रस्तावित है, जो भारत को 2036 ओलंपिक की दावेदारी की दिशा में मजबूती देगा।
मनसुख मंडाविया (Img: Internet)
New Delhi: 11 अगस्त को लोकसभा में उस समय महत्वपूर्ण बदलावों की शुरुआत हुई जब सरकार ने राष्ट्रीय खेल विधेयक और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक को पारित कराया। खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने इन विधेयकों को स्वतंत्रता के बाद भारत के खेल क्षेत्र में सबसे बड़ा सुधार करार दिया। हालांकि विपक्ष इस प्रक्रिया से पूरी तरह अनुपस्थित रहा, जिससे सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव की स्थिति और गहरा गई।
खेल मंत्री मंडाविया ने लोकसभा में कहा, "आजादी के बाद से खेलों में यह सबसे बड़ा सुधार है। यह विधेयक खेल संघों में पारदर्शिता, जवाबदेही और बेहतर प्रशासन सुनिश्चित करेगा।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि इतने महत्वपूर्ण सुधारों में विपक्ष की भागीदारी नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है।
जब ये विधेयक चर्चा और पारित करने के लिए पेश किए गए, उस समय विपक्षी दलों के अधिकांश सांसद सदन में मौजूद नहीं थे। वे बिहार में मतदाता सूची संशोधन और डेटा हेराफेरी के विरोध में चुनाव आयोग मुख्यालय की ओर मार्च कर रहे थे और इसी दौरान कई सांसदों को हिरासत में ले लिया गया। बाद में कुछ विपक्षी सांसदों की वापसी पर सदन में नारेबाजी हुई।
हंगामे के बीच दोनों विधेयकों को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इसके तुरंत बाद लोकसभा की कार्यवाही शाम 4 बजे तक स्थगित कर दी गई। इससे पहले कांग्रेस नेता और संसद की खेल समिति के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह ने लोकसभा अध्यक्ष से विधेयक को संसदीय समिति को भेजने का आग्रह किया था, जिससे उस पर गहन चर्चा हो सके।
मंडाविया ने बताया कि ये सुधार भारत की उस योजना का हिस्सा हैं जिसके तहत देश 2036 ओलंपिक की मेजबानी की दावेदारी कर रहा है। उन्होंने कहा, "यह विधेयक भारत में एक पारदर्शी, जवाबदेह और विश्व स्तरीय खेल प्रणाली का निर्माण करेगा।"
मंडाविया ने यह भी बताया कि इस तरह के विधेयक लाने के प्रयास 1975 से चल रहे थे। 1985 में इसका पहला मसौदा बना, 2011 में राष्ट्रीय खेल संहिता तैयार हुई, लेकिन हर बार राजनीतिक कारणों से प्रक्रिया अधूरी रह गई। उन्होंने कहा, "खेलों का राजनीतिकरण निजी लाभ के लिए किया गया।"
राष्ट्रीय खेल विधेयक के तहत एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) के गठन का प्रस्ताव है, जो देश की खेल प्रशासन प्रणाली को सुचारु बनाने में मदद करेगा। केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले हर राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) को NSB से मान्यता लेनी होगी।
खेल मंत्री ने कहा कि भारत जैसे बड़े देश का ओलंपिक और वैश्विक खेलों में प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है। इस विधेयक का उद्देश्य उस स्थिति को बदलना और देश की खेल क्षमता का निर्माण करना है।