

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा के मद्देनज़र दाखिल एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई हुई। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (सोर्स- इंटरनेट)
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हालिया सांप्रदायिक और राजनीतिक हिंसा के मद्देनज़र दाखिल एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तत्काल कोई आदेश जारी करने से इनकार कर दिया।
डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, यह याचिका राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग को लेकर दाखिल की गई थी।
याचिका में दावा किया गया था कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ उत्पन्न विरोध और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में भड़की हिंसा के पीछे विदेशी तत्व, खासतौर से बांग्लादेशी उपद्रवी शामिल हैं। याचिकाकर्ता ने इस स्थिति को देखते हुए संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी।
दरअसल, यह मामला सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए प्रस्तुत किया गया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें हिंसा से संबंधित नए दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति दी जाए। साथ ही उन्होंने राज्य की बिगड़ती कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए अर्धसैनिक बलों की तत्काल तैनाती की मांग की।
हालांकि, न्यायमूर्ति गवई ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, क्या आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को राष्ट्रपति शासन लागू करने का आदेश दें? पहले ही हम पर कार्यपालिका और विधायिका में हस्तक्षेप करने का आरोप लग रहा है। यह टिप्पणी हाल के मामलों की पृष्ठभूमि में आई, जहां सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यपाल और राष्ट्रपति की भूमिका को लेकर दिए गए निर्देशों पर आलोचना हुई थी।
याचिकाकर्ता शशांक शेखर झा द्वारा लंबित रिट याचिका में कोर्ट से यह भी मांग की गई कि हिंसा की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल (SIT) द्वारा कराई जाए। इसके साथ ही एक अन्य याचिकाकर्ता देवदत्त मजीद ने अदालत से अनुरोध किया कि मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति गठित की जाए, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा की जाए।
पीठ ने इसके अलावा भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति देने की एक अलग मौखिक याचिका भी सुनी, जिसमें दोनों सांसदों पर सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है। हालांकि, इस पर अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को भारत के अटॉर्नी जनरल से अनुमति लेकर ही आगे बढ़ना होगा। बता दें कि मामले की अगली सुनवाई अब 22 अप्रैल को होगी।
प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, मुर्शिदाबाद में नागरिकता कानून (CAA) के विरोध में हुए प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुके हैं। बताया जा रहा है कि स्थानीय TMC नेताओं द्वारा कथित तौर पर इन विरोधों को भड़काने के लिए बांग्लादेशी तत्वों का सहारा लिया गया था। हालात बिगड़ने पर उनका उन पर से नियंत्रण खत्म हो गया, जिसके कारण झड़पें हुईं।
पिछले शुक्रवार और शनिवार को हुई हिंसा में तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 150 से अधिक लोग घायल हुए हैं और कई परिवारों को घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। गृह मंत्रालय ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।