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सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के POSCO केस के ट्रायल पर अस्थायी रोक लगा दी है। कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या उन्हें हाई कोर्ट में मेरिट के आधार पर सुनवाई का नया मौका दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा के POSCO ट्रायल पर लगाई रोक
Bengaluru: कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा एक बार फिर कानूनी मुसीबतों में फंसते दिखाई दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ बाल यौन उत्पीड़न (POSCO) केस के ट्रायल पर अस्थायी रोक लगा दी है। कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि क्या येदियुरप्पा को हाई कोर्ट में मेरिट के आधार पर सुनवाई का नया मौका दिया जाना चाहिए।
मामला 17 साल की नाबालिग लड़की द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों से जुड़ा है। शिकायत के अनुसार, 2 फरवरी 2024 को बेंगलुरु में स्थित बी.एस. येदियुरप्पा के घर में एक मुलाकात हुई थी, जिसमें लड़की ने आरोप लगाया कि उन्हें यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। इस मुलाकात का उद्देश्य पहले से दर्ज यौन उत्पीड़न मामले और अन्य संबंधित समस्याओं का समाधान करवाना था।
याचिकाकर्ता, जो कि नाबालिग की मां थीं, अपने खराब स्वास्थ्य के कारण अब इस मामले में शामिल नहीं हैं। हालांकि, मामले की गंभीरता को देखते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट ने येदियुरप्पा और अन्य तीन आरोपियों के नाम का समन जारी किया। इसमें अरुणा, रुद्रेश और मारीस्वामी शामिल हैं। सभी को 2 दिसंबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल पर रोक लगाते हुए कहा कि मामले में कर्नाटक सरकार से जवाब मांगा जाए कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री को हाई कोर्ट में नए सिरे से सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए। कोर्ट का यह आदेश विशेष रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए है कि किसी भी पक्ष को न्याय मिलने में किसी प्रकार की अनियमितता न हो और प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रहे।
पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा
कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया गया है और उनसे जल्द ही जवाब मांगा गया है। सरकार को यह बताना होगा कि क्या येदियुरप्पा को हाई कोर्ट में मेरिट के आधार पर सुनवाई का नया मौका दिया जाना चाहिए।
फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पहले ही 2 दिसंबर को सभी आरोपियों को पेश होने के लिए नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट के रोक आदेश के बाद यह पेशी फिलहाल स्थगित हो गई है। अदालत का मानना है कि उच्च न्यायालय में मामले की समीक्षा के बाद ही ट्रायल को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
बी.एस. येदियुरप्पा के खिलाफ यह मामला राजनीतिक और सामाजिक रूप से भी काफी संवेदनशील है। पूर्व मुख्यमंत्री का नाम पहले ही कई विवादों में शामिल रहा है, और POSCO केस ने उनकी राजनीतिक छवि पर और दबाव डाल दिया है।