

लोकपाल द्वारा 7 BMW कारों की खरीद का टेंडर जारी होने के बाद से सियासत गर्म हो गई है। विपक्षी दलों ने आलोचना करते हुए इसे भ्रष्टाचार की नई मिसाल बताया। लोकपाल का कहना है कि ये गाड़ियां चेयरमैन और सदस्यगण के लिए जरूरी हैं।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स: इंटरनेट)
New Delhi: लोकपाल अब अपने एक फैसले की वजह से विवादों में घिर गया है। 16 अक्टूबर को लोकपाल ने एक टेंडर जारी किया, जिसमें सात लग्जरी BMW कारों की खरीद की बात कही गई। इन कारों की कुल कीमत लगभग पांच करोड़ रुपये बताई जा रही है। इस फैसले को लेकर विपक्षी दलों ने तीखा हमला बोला है और इसे "शौकपाल" का नाम देते हुए सवाल उठाए हैं।
लोकपाल ने 16 अक्टूबर को एक टेंडर जारी किया, जिसमें उसे सात BMW 330Li एम स्पोर्ट कारों की आवश्यकता थी। ये गाड़ियां सफेद रंग की होंगी और उनका इस्तेमाल लोकपाल के चेयरमैन जस्टिस एएम खानविलकर (जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं) और छह अन्य सदस्यों द्वारा किया जाएगा। हर एक कार की कीमत लगभग 69.5 लाख रुपये रखी गई है। इस फैसले को लेकर विपक्षी दलों का कहना है कि एक ऐसे समय में जब सरकारी संस्थाएं खस्ता हालात से गुजर रही हैं, लोकपाल को इतनी महंगी गाड़ियों की जरूरत क्यों पड़ी?
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लोकपाल के इस फैसले पर विपक्षी नेताओं ने एकजुट होकर हमला बोल दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लोकपाल की आलोचना करते हुए कहा कि जिन लोगों ने मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ झूठा प्रचार किया, वे अब लोकपाल की वास्तविकता देख रहे हैं। वहीं, कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने सवाल उठाया कि जब सुप्रीम कोर्ट के जजों को मामूली कारें मिलती हैं, तो लोकपाल को बीएमडब्ल्यू क्यों चाहिए?
अभिषेक मनु सिंघवी ने इस पर तंज करते हुए कहा कि "8703 शिकायतें, सिर्फ 24 जांचें, 6 अभियोजन स्वीकृत और अब BMW... यह संस्था पैंथर नहीं, पूडल बन गई है।" टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने लोकपाल के सालाना बजट का हवाला देते हुए कहा कि लोकपाल का सालाना बजट 44.32 करोड़ रुपये है और इन सात गाड़ियों की कीमत उसी का 10% है। शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने भी सवाल उठाया कि देशी की बात करने वाली सरकार अब विदेशी गाड़ियों की ओर क्यों बढ़ रही है?
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टेंडर में यह भी कहा गया है कि विक्रेता को सात दिनों की ट्रेनिंग देनी होगी। इस ट्रेनिंग में ड्राइवरों को सभी कार फीचर्स, सुरक्षा उपायों और इमरजेंसी हैंडलिंग की जानकारी दी जाएगी। यह ट्रेनिंग कार की डिलीवरी के 15 दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए। इसके अलावा, विक्रेता को बोली लगाने के लिए 10 लाख रुपये की जमा राशि (EMD) भी देनी होगी, और गाड़ियां डिलीवरी आदेश के बाद दो हफ्तों से लेकर 30 दिन के भीतर सप्लाई करनी होंगी।