ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में गरमाई बहस: विपक्ष पर बरसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, दिया करारा जवाब

लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को करारा जवाब देने की भारत की रणनीति को स्पष्ट किया। उन्होंने विपक्ष के सवालों को गैर-जरूरी बताया और कहा कि यह समय राजनीति का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता का है। सिंह ने बताया कि यह अभियान पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए था और इसे तब रोका गया जब सभी सैन्य-राजनीतिक लक्ष्य पूरे हो चुके थे।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 28 July 2025, 3:23 PM IST
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New Delhi: लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में अपनी जान की कुर्बानी दी। उन्होंने कहा कि इस अभियान का मकसद पाकिस्तान में मौजूद आतंकवाद के अड्डों को खत्म करना था।

यह युद्ध नहीं, प्रॉक्सी वॉर का जवाब था

रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर कोई पारंपरिक युद्ध नहीं था, बल्कि यह पाकिस्तान द्वारा छेड़े गए प्रॉक्सी वॉर का जवाब था। भारत ने पहली बार इतनी निर्णायक और तेज कार्रवाई करके दुनिया को अपना रुख स्पष्ट किया।

ऑपरेशन क्यों रोका गया?

राजनाथ सिंह ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर को इसलिए रोका गया क्योंकि भारत अपने सभी निर्धारित सैन्य और राजनीतिक लक्ष्य प्राप्त कर चुका था। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया कि यह कार्रवाई किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते रोकी गई। राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि पाकिस्तान ने खुद हमारे डीजीएमओ से संपर्क कर कहा कि महाराज, अब रुक जाइए।

पाकिस्तान की सैन्य और मानसिक हार

रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की हार सिर्फ सैन्य मोर्चे पर नहीं, बल्कि उसकी रणनीति, हौसले और आतंकी नीति की भी हार थी। पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत से बातचीत कर कार्रवाई रोकने की मांग की थी।

आतंकवाद पाकिस्तान की नीति है, गलती नहीं

राजनाथ सिंह ने आतंकवाद को पाकिस्तान की सोची-समझी रणनीति बताया। उन्होंने कहा कि यह कोई भावनात्मक उन्माद नहीं, बल्कि एक हथियार है जिसे वहां की सेना और खुफिया एजेंसियां लंबे समय से भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रही हैं।

सेना की बहादुरी को 140 करोड़ भारतीयों ने देखा

राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना के साहस और कौशल को देश की जनता ने देखा और सराहा। यह सिर्फ सैन्य सफलता नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता और आत्मसम्मान की जीत है।

विपक्ष के सवालों पर जताई आपत्ति

रक्षा मंत्री ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब सेना दुश्मन के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी, तब विपक्ष यह पूछ रहा था कि भारत के कितने विमान गिरे? उन्होंने सवाल उठाया कि किसी ने यह क्यों नहीं पूछा कि पाकिस्तान के कितने विमान गिरे? इसके आगे राजनाथ सिंह ने कहा कि ,जब लक्ष्य बड़ा हो, तो छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।

राजनीति नहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा का समय

राजनाथ सिंह ने विपक्ष से अपील की कि वे राजनीतिक मतभेद भुलाकर राष्ट्रहित को प्राथमिकता दें। उन्होंने 1962 और 1971 के युद्धों का उदाहरण देते हुए कहा कि संकट के समय विपक्ष को जिम्मेदार भूमिका निभानी चाहिए।

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