उत्तर प्रदेश के हजारों लोगों ने उठाई बंदूक, कहा- अब हम इन लोगों को मार देंगे, जानें पूरा मामला

उत्तर प्रदेश के कई जिले इस समय ड्रोन से उपजे अराजक हालात का सामना कर रहे हैं। जहां एक तरफ पुलिस अभी तक किसी ठोस नेटवर्क का पर्दाफाश नहीं कर पाई है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों की आत्म-रक्षा की कोशिशें कानून व्यवस्था के लिए नई चुनौती बन सकती हैं। अगर जल्द समाधान नहीं निकाला गया तो यह मामला भीड़ हिंसा या निर्दोष पर हमले का कारण भी बन सकता है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 28 July 2025, 1:40 PM IST
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Meerut News: उत्तर प्रदेश के वेस्टर्न जिलों में इन दिनों 'ड्रोन का खौफ' तेजी से फैलता जा रहा है। सहारनपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, मुरादाबाद, बरेली और अमरोहा समेत 12 जिलों में रात के समय उड़ते ड्रोन लोगों के लिए चिंता और डर का कारण बन गए हैं। हालात ऐसे हैं कि अब गांवों के हजारों लोग लाठी-डंडे और लाइसेंसी बंदूक लेकर रात में पहरेदारी कर रहे हैं।

जासूसी का तरीका बना ड्रोन

ग्रामीणों का आरोप है कि इन ड्रोन के जरिए रैकी (जासूसी) की जाती है और फिर चोरी या डकैती की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। उनका कहना है कि यदि ड्रोन उड़ाने वाला कोई व्यक्ति पकड़ा गया तो उसकी जान नहीं बख्शेंगे।

पुलिस भी खाली हाथ

पुलिस को इस ड्रोन संकट की जानकारी है। हापुड़ में कुछ दिन पहले एक युवक को ड्रोन उड़ाने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया, जिसने दावा किया कि वह सिर्फ शौकिया तौर पर ड्रोन उड़ाता है। पुलिस का कहना है कि वह जांच कर रही है, लेकिन अभी तक किसी बड़े गिरोह या संगठित नेटवर्क का खुलासा नहीं हो पाया है।

पुलिस का बयान

इस मामले में पुलिस का कहना है, “लोग कानून हाथ में न लें। ड्रोन से जुड़ी घटनाओं की जांच की जा रही है और जरूरत पड़ी तो साइबर एक्सपर्ट्स की भी मदद ली जाएगी।”

अमरोहा से वायरल हुआ वीडियो बढ़ा रहा डर

अमरोहा से एक सीसीटीवी वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एक अपराधी केवल अंडरवियर पहनकर चोरी करता दिखाई दे रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि ऐसे अपराधियों को ड्रोन से इलाके की जानकारी पहले ही मिल जाती है। जिससे वे आसानी से वारदातों को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं।

ग्रामीणों ने खुद संभाला मोर्चा

रात के समय कई गांवों में अब नियमित पहरा लगाया जा रहा है। कुछ गांवों में तो ग्रामीण टीमें बनाकर खेतों और गलियों में गश्त कर रहे हैं। कई घरों में ड्रोन से बचाव के लिए लोहे के तार और ट्रैप तक लगाए जा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस की निष्क्रियता के चलते उन्हें स्वयं सुरक्षा की जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है।

ड्रोन से हो रहा अपराध

ड्रोन टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग केवल रैकी या चोरी तक सीमित नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका इस्तेमाल नशीली चीजों की सप्लाई, अवैध निगरानी और संवेदनशील ठिकानों की मैपिंग में भी किया जा सकता है। पुलिस को चाहिए कि वह ड्रोन रजिस्ट्रेशन और उड़ान नियमों को सख्ती से लागू करे।

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