

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने अपने खिलाफ नकदी कांड में आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट और महाभियोग की सिफारिश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच पक्षपातपूर्ण थी और उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इस मामले पर सुनवाई हो सकती है।
जस्टिस यशवंत वर्मा
New Delhi: इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (28 जुलाई 2025) को सुनवाई होगी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि दिल्ली स्थित उनके आवास से बरामद नकदी मामले में बनी आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य घोषित किया जाए। इस रिपोर्ट में उन्हें कदाचार का दोषी ठहराया गया था।
पूर्व CJI की महाभियोग सिफारिश को भी दी चुनौती
जस्टिस वर्मा ने याचिका में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की 8 मई 2025 को की गई उस सिफारिश को भी निरस्त करने की मांग की है, जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया था। यह सिफारिश जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी।
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास से भारी मात्रा में जली हुई नकदी बरामद की गई थी। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आंतरिक जांच समिति गठित की थी, जिसने जांच के बाद उन्हें दोषी ठहराते हुए महाभियोग की सिफारिश की थी। जांच पैनल ने कहा था कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के पास उस स्टोर रूम का सीधा नियंत्रण था, जहां से अधजली नकदी मिली थी। इससे उनके कथित कदाचार की पुष्टि होती है।
याचिका में क्या-क्या आरोप लगाए गए?
अपनी याचिका में जस्टिस वर्मा ने कहा कि जांच गंभीर नहीं थी और प्रक्रिया में निष्पक्षता की कमी थी। उन्हें पूरी सुनवाई का अवसर नहीं मिला, जिससे उन्हें अपनी बात रखने और आरोपों को गलत साबित करने का अवसर छीन लिया गया। पैनल के निष्कर्ष एक पहले से तैयार कल्पना आधारित कहानी पर आधारित थे। जांच की प्रक्रिया इतनी तेज की गई कि न्यायिक प्रक्रिया की बुनियादी शर्तों को भी नजरअंदाज कर दिया गया।
कौन था जांच समिति में?
तीन सदस्यीय समिति का नेतृत्व पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू ने किया था।
• पैनल ने 10 दिनों तक जांच की
• 55 गवाहों से पूछताछ की गई
• 14 मार्च की रात 11:35 बजे उस स्थान का निरीक्षण किया गया जहां आग लगी थी
• जांच के दौरान घटनास्थल से अधजली नकदी बरामद हुई थी
महाभियोग की सिफारिश
जांच रिपोर्ट आने के बाद तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने यह मामला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष उठाया था और न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी। महाभियोग की प्रक्रिया न्यायपालिका में उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने का संवैधानिक तरीका है, लेकिन इस मामले में न्यायमूर्ति वर्मा ने इसे पूर्व-निर्धारित और पूर्वाग्रह से ग्रस्त बताया है।