DN Exclusive: पूरे देश में SIR लागू होने से बिहार चुनाव पर क्या होगा असर? राजनीति में आएगा नया मोड़

चुनाव आयोग देशभर में स्पेशल गहन पुनरीक्षण (SIR) कराकर मतदाता सूची को एरर-फ्री और अपडेटेड बनाने का प्रयास कर रहा है। इसका उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी, निष्पक्ष बनाना और फर्जी वोटिंग, दोहरा नामांकन जैसी खामियां खत्म करना है।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 6 September 2025, 3:07 PM IST
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New Delhi: चुनाव आयोग का उद्देश्य देशभर में स्पेशल गहन पुनरीक्षण (SIR) कराना लोकतंत्र की मजबूती के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। SIR का मकसद है मतदाता सूचियों को पूरी तरह से एरर-फ्री और अपडेटेड बनाना, ताकि चुनावी प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो सके। इससे फर्जी वोटिंग, दोहरा नामांकन, मृतक व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची में रहना जैसे खामियों को खत्म किया जा सकेगा।

इस प्रक्रिया से मतदाता सूची की विश्वसनीयता बढ़ेगी, जिससे जनता का चुनावी सिस्टम में विश्वास मजबूत होगा। केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इस दिशा में युद्ध स्तर पर कार्यरत हैं, ताकि SIR को सुचारू रूप से लागू किया जा सके।

10 सितंबर की अहम बैठक

दिल्ली के द्वारका में 10 सितंबर को होने वाली बैठक को इस प्रक्रिया के लिए निर्णायक माना जा रहा है। इस बैठक में देशभर के सभी मुख्य चुनाव अधिकारियों को बुलाया गया है, जहां SIR की रूपरेखा, उसकी पॉलिसी और हर राज्य में इसके क्रियान्वयन पर गहन मंथन होगा।

SIR को लेकर चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, पूरे देश में एक साथ लागू होगा

बैठक में चुनाव आयोग के मुख्य और दो अन्य चुनाव आयुक्त भाषण देंगे, डिप्टी चुनाव आयुक्त संतोष कुमार SIR की पॉलिसी पर प्रेजेंटेशन करेंगे, जबकि बिहार सहित अन्य राज्यों के अधिकारी अपनी-अपनी तैयारियों और चुनौतियों पर विस्तार से जानकारी साझा करेंगे। यह बैठक SIR की एकरूपता और समग्रता को सुनिश्चित करने के लिए अहम है।

बिहार में SIR की स्थिति और बाकी राज्यों की तैयारी

बिहार में SIR की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है और यह 30 सितंबर तक पूरी होने वाली है। इसमें 11 मान्य दस्तावेजों की सूची तय की गई है, जिनमें आधार कार्ड, राशन कार्ड और मौजूदा मतदाता सूची शामिल नहीं हैं। चुनाव आयोग अब बाकी राज्यों में भी एक समान प्रक्रिया लागू करने पर विचार कर रहा है। पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए आयोग चाहता है कि SIR की प्रक्रिया पूरे देश में समन्वित रूप से लागू हो।

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संभावित प्रभाव और राजनीतिक विरोध

1. चुनावी राजनीति पर असर

यदि SIR पूरे देश में एक साथ लागू होता है, तो यह चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाएगा और चुनाव में होने वाली गड़बड़ियों को कम करेगा। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले यह कदम राजनीतिक दलों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर बदलाव होगा।

2. विपक्ष का विरोध

राजनीतिक दल, खासकर विपक्ष, SIR के इस बड़े पुनरीक्षण को कुछ मतदाताओं के बहिष्कार के रूप में देख सकते हैं। वे इस प्रक्रिया को वोटरों को परेशान करने और चुनावी रणनीति के तहत प्रतिद्वंद्वी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करार दे सकते हैं। इससे चुनाव आयोग और सरकार के बीच टकराव भी हो सकता है।

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3. मतदाता जागरूकता का महत्व 

SIR के सफल क्रियान्वयन के लिए मतदाताओं को भी जागरूक करना होगा ताकि वे अपने दस्तावेज सही समय पर अपडेट करें। यदि ऐसा नहीं हुआ तो कुछ वोटर अनजाने में मतदान से वंचित रह सकते हैं। चुनाव आयोग का देशभर में एक साथ SIR लागू करने का फैसला लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक और सकारात्मक कदम है। हालांकि इसके राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक पक्षों पर भी गहरा असर पड़ेगा। बिहार में यह प्रक्रिया परीक्षण के रूप में देखी जा रही है और उसकी सफलता या असफलता पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण संकेतक होगी। आने वाले समय में यह देखना होगा कि चुनाव आयोग कैसे विपक्षी दलों की आलोचनाओं को संतुलित करते हुए चुनावी निष्पक्षता और मतदाता अधिकारों की रक्षा करता है। साथ ही, मतदाता जागरूकता और दस्तावेज़ों के सही प्रबंधन को लेकर व्यापक अभियान की जरूरत भी महसूस होगी।

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