

भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने मॉरीशस में कहा कि भारत की न्याय प्रणाली बुलडोजर के शासन से नहीं, बल्कि कानून के शासन से संचालित होती है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि संविधान हर नागरिक को सुरक्षा और सम्मान देने का वादा करता है।
CJI बी. आर. गवई
New Delhi: भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India - CJI) बी. आर. गवई ने शुक्रवार को मॉरीशस में आयोजित एक आधिकारिक कार्यक्रम के दौरान भारत की न्याय प्रणाली की मजबूती और उसकी संवैधानिक प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि "भारत बुलडोजर से नहीं, कानून के शासन से चलता है।"
'बुलडोजर जस्टिस' की निंदा
सीजेआई गवई ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में दिए गए उस ऐतिहासिक निर्णय का उल्लेख किया, जिसमें "बुलडोजर जस्टिस" को स्पष्ट रूप से असंवैधानिक बताया गया था। उन्होंने कहा कि, "इस फैसले ने यह साफ संदेश दिया कि भारत की न्यायिक प्रणाली बुलडोजर से नहीं, बल्कि कानून के शासन से संचालित होती है। किसी भी कथित अपराधी के घर को गिराना बिना उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाए, न केवल संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है, बल्कि यह कानून के शासन के सिद्धांत पर भी कुठाराघात करता है।"
कार्यक्रम में मौजूद रहे मॉरीशस के शीर्ष नेता
सीजेआई गवई की यह टिप्पणी मॉरीशस की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा के दौरान आई। इस कार्यक्रम में मॉरीशस के राष्ट्रपति धर्मबीर गोखूल, प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम और प्रधान न्यायाधीश रेहाना मुंगली गुलबुल भी मौजूद थे। उन्होंने भारत और मॉरीशस के बीच कानूनी सहयोग और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित रिश्तों को भी रेखांकित किया।
ऐतिहासिक फैसलों की याद दिलाई
सीजेआई ने अपने संबोधन में सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसलों का उल्लेख किया। 1973 का केसवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामला, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के मूल ढांचे (Basic Structure Doctrine) की अवधारणा दी थी। तीन तलाक पर फैसला, जिसने मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तत्काल तलाक की प्रथा को असंवैधानिक घोषित किया। निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित करने वाला फैसला (2017), जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत गोपनीयता संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है।
8वीं क्लास की छात्रा बनी एक दिन की BSA, फतेहपुर में महिलाओं को मिला सशक्तिकरण का मंच
गांधी और आंबेडकर के दृष्टिकोण की प्रशंसा
उन्होंने कहा, "राजनीतिक क्षेत्र में कानून का शासन, सुशासन और सामाजिक प्रगति का मानक है। यह कुशासन और अराजकता के बिल्कुल विपरीत है।" सीजेआई ने भारत के निर्माण में महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव आंबेडकर की भूमिका का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी दूरदर्शिता ने यह सुनिश्चित किया कि भारत का संविधान न केवल अधिकारों का दस्तावेज है, बल्कि कानून के शासन की मजबूत नींव भी है। मुख्य न्यायाधीश ने अपने भाषण में कहा कि भारत जैसे विविधताओं से भरे लोकतंत्र में Rule of Law (कानून का शासन) केवल नियमों का पालन नहीं, बल्कि न्याय, समानता और मानव गरिमा की गारंटी है।