

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चशोती इलाके में 14 अगस्त को मचैल माता यात्रा मार्ग पर भीषण बादल फटने की घटना सामने आई। इस दुखद हादसे में अब तक 45 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है, जिसमें एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना, पुलिस और सीआरपीएफ की टीमें लगातार जुटी हैं।
किश्तवाड़ में हादसा
New Delhi: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चशोती इलाके में 14 अगस्त की दोपहर अचानक मौसम ने विकराल रूप ले लिया। मचैल माता यात्रा मार्ग पर दोपहर 12 बजे से 1 बजे के बीच भीषण बादल फटने की घटना हुई, जिससे पूरे क्षेत्र में तबाही मच गई। अब तक 65 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि कई अन्य के लापता होने की आशंका है। हादसे के बाद क्षेत्र में आपात स्थिति घोषित कर दी गई है और राहत-बचाव कार्य तेज़ी से जारी है।
एनडीआरएफ, सेना और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की दो टीमें, प्रत्येक में लगभग 90 सदस्य, तुरंत मौके पर पहुंचीं। उनके साथ-साथ राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), जम्मू-कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना और केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) भी राहत कार्य में जुट गए। यह टीमें मलबे के नीचे दबे लोगों को निकालने, घायलों को अस्पताल पहुंचाने और प्रभावित इलाकों में जरूरी राहत सामग्री पहुंचाने का काम कर रही हैं।
स्थानीय लोग भी बचाव कार्य में बने सहायक
सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों ने भी राहत और बचाव कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लिया है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और भारी मलबे के बावजूद स्थानीय लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर पीड़ितों तक मदद पहुंचाई। कई ग्रामीणों ने अपने घरों को राहत शिविरों के रूप में खोला है, जहां बेघर हुए लोगों को भोजन, पानी और प्राथमिक चिकित्सा दी जा रही है।
मचैल माता यात्रा प्रभावित
बादल फटने की घटना मचैल माता यात्रा मार्ग पर हुई, जिस वजह से यात्रा को फिलहाल अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है। हजारों श्रद्धालु हर साल इस यात्रा में भाग लेते हैं, लेकिन इस प्राकृतिक आपदा के चलते सुरक्षा कारणों से आगे की यात्रा पर रोक लगा दी गई है। प्रशासन ने यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है और आगे के निर्णय स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखकर लिए जाएंगे।
कठिन मौसम और चुनौतीपूर्ण भूभाग बचाव में बना बाधा
किश्तवाड़ का चशोती इलाका पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है, जहां पहुंचना बेहद कठिन है। तेज बारिश, फिसलनभरे रास्ते और लगातार हो रही भूस्खलन की घटनाएं बचाव कार्य को बाधित कर रही हैं। फिर भी एनडीआरएफ और अन्य एजेंसियां जोखिम उठाकर राहत कार्यों को अंजाम दे रही हैं। रेस्क्यू टीमों ने सैटेलाइट फोन और ड्रोन तकनीक का भी उपयोग शुरू कर दिया है, जिससे दूरदराज के इलाकों में फंसे लोगों का पता लगाया जा सके।
राज्य और केंद्र सरकार की निगरानी में राहत कार्य
जम्मू-कश्मीर प्रशासन लगातार घटनास्थल पर स्थिति पर नजर रखे हुए है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मृतकों के परिवारों को संवेदना व्यक्त की है और घायलों को हर संभव सहायता देने का भरोसा दिया है। केंद्र सरकार ने भी बचाव अभियान में हर संभव मदद देने की बात कही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर हादसे पर दुख जताया और कहा कि प्रभावितों की मदद के लिए सरकार पूरी तरह तत्पर है।
मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता की घोषणा
राज्य सरकार ने हादसे में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को ₹5 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। घायलों को मुफ्त इलाज और राहत शिविरों में सभी जरूरी सुविधाएं दी जा रही हैं। इसके अलावा लापता लोगों की खोजबीन तेज कर दी गई है और जरूरत पड़ने पर और टीमें भेजी जा सकती हैं।
स्थानीय लोगों के लिए राहत शिविर और स्वास्थ्य सुविधा
प्रभावित क्षेत्रों में अस्थायी राहत शिविर बनाए गए हैं, जहां स्थानीय लोगों को सुरक्षित आश्रय, भोजन, पानी और प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी तैनात की हैं ताकि घायलों को समय पर इलाज मिल सके और संक्रमण की स्थिति से बचा जा सके।