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रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच बड़ा राजनयिक कदम पुतिन ने पुष्टि की कि अमेरिकी अधिकारी अगले सप्ताह मॉस्को आएंगे। यह दौरा ट्रंप के 28-सूत्रीय शांति प्रस्ताव पर बातचीत के लिए होगा। यूक्रेन ने कहा शांति रूसी धमकियों से नहीं, अंतरराष्ट्रीय नियमों से तय होगी।
पुतिन-जेलेंस्की
Kyiv: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच एक बड़ा कूटनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यह पुष्टि की है कि अमेरिकी अधिकारी अगले सप्ताह मॉस्को का दौरा करेंगे। यह दौरा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पिछले सप्ताह पेश किए गए 28-सूत्रीय शांति प्रस्ताव पर सार्थक बातचीत के उद्देश्य से होगा। किर्गिस्तान की तीन दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद पुतिन ने मीडिया से बातचीत में इस महत्वपूर्ण जानकारी को साझा किया।
ट्रंप के प्रस्ताव पर रूस की रजामंदी
पुतिन ने कहा कि अमेरिका द्वारा तैयार किया गया शांति प्रस्ताव बातचीत की एक मजबूत नींव बन सकता है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा "हम इस प्रस्ताव के हर बिंदु पर विस्तार से चर्चा करने के लिए तैयार हैं।"
हालांकि उन्होंने चेतावनी भी दी कि बातचीत तभी आगे बढ़ेगी जब यूक्रेन उन इलाकों से अपनी सेना पीछे हटाएगा जिन पर रूस अपना दावा जताता है। पुतिन ने दोहराया कि यदि यूक्रेन पीछे नहीं हटता, तो रूस सैन्य कार्रवाई से अपनी शर्तें लागू करेगा।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने पुतिन के बयान को सिरे से खारिज किया। उनका कहना है कि शांति प्रक्रिया रूस की धमकियों या शर्तों के आधार पर नहीं, बल्कि वैश्विक नियमों के तहत तय होगी। जेलेंस्की ने अपने संबोधन में बताया "हम अमेरिका के साथ मिलकर जिनेवा में निर्धारित शांति बिंदुओं पर आगे बढ़ रहे हैं और अपनी सुरक्षा को मजबूत कर रहे हैं।"
सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ अगले सप्ताह मॉस्को पहुंचेंगे। वहीं अमेरिकी सेना के सचिव डैन ड्रिस्कॉल जल्द ही कीव का दौरा करेंगे। हाल ही में लीक हुए ऑडियो में दावा किया गया था कि विटकॉफ रूस को ट्रंप के साथ बातचीत को प्रभावित करने की सलाह दे रहे थे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पुतिन ने कहा "विटकॉफ समझदार व्यक्ति प्रतीत होते हैं। बातचीत के लिए वातावरण बनाना उनका काम है।"
रूस-यूक्रेन युद्ध ने यूरोपीय देशों की सुरक्षा चिंताओं को और बढ़ा दिया है। इसी कारण कई यूरोपीय देश भी शांति प्रक्रिया का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे हैं ताकि युद्ध समाप्ति में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहे। पुतिन ने यूरोप की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि रूस न तो नाटो देशों पर हमला करेगा और न ही यूरोप पर।
उन्होंने इस तरह के सभी आरोपों को झूठा बताते हुए कहा "हमारी सिर्फ एक मांग है यूक्रेन नाटो में शामिल न हो और उसके क्षेत्र में पश्चिमी सैन्य ठिकाने न बनें।"
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अमेरिकी प्रतिनिधियों का मॉस्को दौरा युद्ध के 3 साल बाद पहली बार बड़ी कूटनीतिक हलचल का संकेत देता है। हालांकि रूस और यूक्रेन दोनों अपनी शर्तों पर अड़े हुए हैं, इसलिए यह देखना बाकी है कि क्या यह बैठक शांति की दिशा में कोई बड़ा कदम साबित होगी।